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पीएनबी स्कैम पर रघुराम राजन ने तोड़ी चुप्पी, 80:20 स्कीम को किया सपोर्ट

रघुराम राजन ने कहा कि 2013 में रुपए की कमजोरी का बुरा दौर देखने के बाद 2014 में सरकार गोल्ड इंपोर्ट बढ़ाने की कोशिश कर रही थी

FP Staff

आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने मंगलवार को आखिरकार अपनी चुप्पी तोड़ दी. पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) में 13,500 करोड़ रुपए का घोटाला होने के बाद रघुराम राजन को आलोचनाओं का शिकार होना पड़ रहा है.

दरअसल रघुराम राजन 2013 से 2016 तक आरबीआई के गवर्नर रहे हैं. उसी दौरान 2014 में 80: 20 गोल्ड स्कीम आई थी. पीएनबी घोटाले के बाद एकबार फिर 80: 20 स्कीम सुर्खियों में आ गई है.


कब शुरू हुआ यह मामला?

इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन (आईबीजेए) ने 26 जुलाई 2014 को राजन को एक लेटर लिखा था. इस बात को लेकर यूपीए सरकार और रघुराम राजन की काफी आलोचना हो रही है कि यूपीए सरकार के कार्यकाल के आखिरी दिन गोल्ड स्कीम 80:20 को मंजूरी दी गई थी.

सीएनबीसी-टीवी 18 को दिए एक इंटरव्यू रघुराम राजन ने कहा, 'किसी भी पॉलिसी के नकारात्मक और सकारात्मक पहलू होते हैं. पीएनबी स्कैम के बाद कई तरह के आरोप लगे. यह देखने की जरूरत है कि पीएनबी में घोटाला कैसे हुआ. क्या खामियां थीं.'

उन्होंने कहा, 'हमें यह भी सवाल पूछना चाहिए कि पीएनबी के बोर्ड मेंबर्स की नियुक्ति किसने की. हमें सरकारी बैंकों के गवर्नेंस के बारे में गंभीरता से सोचना होगा.' उन्होंने कहा कि अगर आरबीआई को इसकी जानकारी होती तो वह इसे रोकने के लिए जितना हो सकता था करता.

80: 20 स्कीम के बारे में क्या है रघुराम राजन की राय?

रघुराम राजन ने कहा, 'जहां तक 80:20 गोल्ड स्कीम की बात है तो इसे तब लाया गया था जब गोल्ड सप्लाई घट गई थी और इंडियन ज्वैलरी सेक्टर में नौकरी के मौके बनाने की कोशिश की गई थी. राजन ने कहा कि 2013 में रुपए की कमजोरी का बुरा दौर देखने के बाद 2014 में सरकार गोल्ड इंपोर्ट बढ़ाने की कोशिश कर रही थी. तभी उस वक्त सरकार ने 80:20 स्कीम शुरू किया था. इस स्कीम के तहत कुछ शर्तों के साथ गोल्ड इंपोर्टर्स को दोबार इंपोर्ट शुरू करने की अनुमति दी गई थी.'