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डिजिटल क्रांति: मोबाइल पेमेंट को और सरल बनाने की योजना

आने वाले समय में लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाने, एसएमएस बैंकिंग के लिए संदेशों का फॉर्मेट आसान बनाने, नियर फील्ड कम्युनिकेशन (एनएफसी), प्रॉक्सिमिटी पेमेंट आदि पर भी ध्यान दिया जाएगा

Bhasha

डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए बनाए गए संगठन मोबाइल पेमेंट फोरम ऑफ इंडिया (एमपीएफआई) आवाज आधारित प्रमाणन समेत कई सुविधाजनक फीचर लाने वाला है. इस फोरम का गठन आईआईटी मद्रास और बैंकिंग प्रौद्योगिकी पर काम करने वाली हैदराबाद की संस्था इंस्टिट्यूट फॉर डेवलपमेंट एंड रिसर्च इन बैंकिंग टेक्नोलाजी ने मिलकर किया है.

एमपीएफआई के चेयरमैन गौरव रैना ने कहा, ‘एमपीएफआई आवाज आधारित प्रमाणन, सुरक्षा और निजता सुविधा जैसे कई भविष्य के हल पर ध्यान केंद्रित कर रहा है.’ आईआईटी मद्रास के प्रोफैसर रैना ने कहा कि आने वाले महीनों में लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाने, एसएमएस बैंकिंग के लिए संदेशों का फॉर्मेट आसान बनाने, नियर फील्ड कम्युनिकेशन (एनएफसी), प्रॉक्सिमिटी पेमेंट आदि पर भी ध्यान दिया जाएगा.


उन्होंने कहा कि ‘हर किसी के पास स्मार्टफोन नहीं है. नेटवर्क बेहतर हो रहा है पर यह कई बार खराब हो सकता है. पर एसएमएस कम से कम आधारभूत वित्तीय सेवाओं का एक माध्यम हो सकता है. इसे बढ़ावा देने और इसके मानकीकरण की जरूरत है’. रैना ने उदाहरण के तौर पर कहा कि खाते की राशि संबंधी उद्देश्यों के लिए सभी बैंकों में एक मास्टरकोड का इस्तेमाल किया जा सकता है.

रैना ने कहा कि एमपीएफआई आने वाले वर्षों में इस तरह के फीचर विकसित करने पर ध्यान देगा. आंकड़े पेश करते हुए उन्होंने कहा कि सिर्फ अगस्त 2017 में ही आईएमपीएस और यूपीआई का इस्तेमाल करते हुए 9 करोड़ से अधिक लेन-देन किये गये हैं.

वित्त वर्ष 2016-17 में आईएमपीएस के जरिए 50 करोड़ लेन-देन किए गए थे. उन्होंने कहा, ‘वृद्धि के यह आंकड़े भारतीय अर्थव्यवस्था में मोबाइल भुगतान की बेहतरीन संभावनाओं के संकेतक हैं.’