अगर आप ऑनलाइन शॉपिंग करते हैं तो सतर्क हो जाइए. इसकी वजह ई-कॉमर्स साइट्स पर धड़ल्ले से बिकने वाले नकली प्रॉडक्ट्स हैं. यानी, आपने ऑनलाइन शॉपिंग साइट्स पर जो सामान ब्रांडेड समझकर खरीदा है, हो सकता है कि वह नकली हो.
न्यूज18 की तफ्तीश में यह बात सामने आई है कि ई-कॉमर्स साइट्स पर ब्रांडेड प्रॉडक्ट्स के नाम पर नकली प्रॉडक्ट बिक रहे हैं. इनवेस्टिगेशन के मुताबिक, फर्जी मैन्युफैक्चरर्स और जाली सेलर्स इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट की खामियों का फायदा उठा रहे हैं. वहीं, ऑनलाइन रिटेलर्स खुद को मध्यस्थ बताकर जिम्मेदारी से बच रहे हैं.
मेगा डील्स, डिस्काउंट से ग्राहकों को लुभाती हैं ई-कॉमर्स साइट्स
भारतीय ग्राहकों ने इस दिवाली सीजन ऑनलाइन शॉपिंग पर करीब 19,000 करोड़ रुपए खर्च किए. 20 सितंबर से 19 अक्टूबर 2017 के बीच ई-कॉमर्स सेक्टर की ग्रोथ छह गुना बढ़ी है. वहीं, पिछले साल के मुकाबले सेल्स के मामले में सेक्टर में 45 फीसदी की ग्रोथ देखने को मिली. ऑनलाइन रिटेलर्स डिस्काउंट्स और अपनी मेगा डील्स के जरिए कस्टमर्स को लगातार लुभा रहे हैं.
लेकिन, बतौर कस्टमर्स शायद आपने कभी यह जांचा नहीं होगा कि आप जो प्रॉडक्ट्स खरीद रहे हैं वह असली हैं या नहीं. न्यूज18 की यह तफ्तीश ब्रांड इनवेस्टिगेटर्स की एक टीम ने की. इस इनवेस्टिगेशन में यह बात सामने आई कि ऑनलाइन बिकने वाले 60 फीसदी से ज्यादा स्पोर्ट्स गुड्स नकली हैं.
पॉपुलर ऑनलाइन साइट्स पर बिक रहे नकली प्रॉडक्ट्स
वहीं, अपैरल के मामले में कम से कम 40 फीसदी लिस्टिंग डुप्लीकेट मैन्युफैक्चरर्स की तरफ से की गई है. प्रॉडक्ट्स की हकीकत जानने के लिए स्थानीय पुलिस की मदद से मेरठ के ब्रह्मपुरी इलाके में छापेमारी की गई, जिसमें बड़ी संख्या में फर्जी प्रॉडक्ट मिले. नकली प्रॉडक्ट्स में से ज्यादातर स्पोर्ट्स गुड्स थे, जिन्हें फ्लिपकार्ट, शॉपक्लूज और स्नैपडील जैसी पॉपुलर ई-कॉमर्स साइट्स पर बेचा जा रहा था.
इन प्रॉडक्ट्स को बेचने वाले मोहित बंधु ने बाद में स्वीकार किया कि वह COSCO और NIVIA की जो बॉल्स ऑनलाइन भारी भरकम डिस्काउंट पर बेच रहे थे, असल में वह नकली हैं. बंधु ने स्वीकार किया कि इन नकली बॉल्स को आसपास के इलाकों से खरीदा गया है और इन्हें ऑनलाइन बेचा गया. इन्हें 170-200 रुपये पर खरीदा गया. इसके बाद इन्हें ऑनलाइन 450-500 रुपये पर बेचा गया.
बढ़ाकर रखी जाती है MRP
खरीदारों को लुभाने के लिए इन प्रॉडक्ट्स पर 900-1000 MRP रखी जाती है, इसके बाद इन पर 50-60 फीसदी डिस्काउंट दिया जाता है. ब्रांड इंटेलीजेंस आंत्रप्रेन्योर धीरेंद्र सिंह से जब ओरिजनल स्पोर्ट्स बॉल और नकली बॉल के अंतर के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया, 'ओरिजनल प्रॉडक्ट एक कार्डबोर्ड बॉक्स में आता है और उस पर होलोग्राम होता है. जबकि, नकली प्रॉडक्ट्स में कोई गारंटी नहीं होती, न ही उस पर कोई होलोग्राम होता है.' साइबर लॉ स्पेशलिस्ट पवन दुग्गल का कहना है कि यह कंपनियां इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट के सेक्शन 79 की खामियों का फायदा उठा रहे हैं.
(News18 के लिए शुभाजीत सेनगुप्ता और नितिशा कश्यप)