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भारत के 1 फीसदी लोगों के पास 73% आबादी से अधिक धन-दौलत

सर्वे के मुताबिक यह असमानता इतनी ज्यादा है कि ग्रामीण भारत के एक मजदूर को देश के गारमेंट फर्म के किसी टॉप सीईओ के एक साल के वेतन के बराबर कमाने में 941 साल लग जाएंगे

FP Staff

भारत में बढ़ती आर्थिक असमानता के नए आंकड़े चौंकाने वाले हैं. देश में एक फीसदी लोगों के पास 73 फीसदी आबादी की आमदनी से भी ज्यादा पैसा है. हाल में आए इंटरनेशनल राइट्स समूह ऑक्सफैम की सर्वे रिपोर्ट में यह बात कही गई है कि भारत के सबसे अमीर 1 फीसदी लोगों के पास देश के 73 प्रतिशत लोगों की इनकम से भी ज्यादा पैसा है.

वर्ल्ड इकॉनोमिक फोरम (विश्व आर्थिक मंच) की सालाना बैठक से पहले जारी की गई इस सर्वे रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में 67 फीसदी लोग अब भी गरीबी रेखा रेखा के नीचे जीने को मजबूर हैं. इन 67 फीसदी लोगों में केवल 1 प्रतिशत ही लोग ऐसे हैं जिनकी आमदनी में मामूली इजाफा हुआ है.


2017 के सर्वे के अनुसार भारत के 1 फीसदी सबसे रईस लोगों के पास देश की 58 फीसदी संपत्ति का मालिकाना हक है. जबकि पूरी दुनिया में सबसे अमीर 1 प्रतिशत लोगों के पास लगभग 50 फीसदी दौलत है.

सर्वे के मुताबिक यह असमानता इतनी ज्यादा है कि ग्रामीण भारत के एक मजदूर को देश के गारमेंट फर्म के किसी टॉप सीईओ के एक साल के वेतन के बराबर कमाने में 941 साल लग जाएंगे.

अगर इस सर्वे रिपोर्ट के आंकड़े वैश्विक स्तर पर देखें तो स्थिति और भी गंभीर दिखाई देती है. विश्व की कुल आबादी में 3.7 फीसदी लोग सबसे गरीब है. दुनिया भर में 1 प्रतिशत लोग ऐसे हैं जिनके पास कुल 82 फीसदी लोगों की आय से भी ज्यादा पैसा है. बीते साल की तुलना में देखें तो इन 82 फीसदी लोगों की आमदनी में कोई वृद्धि दर्ज नहीं की गई है.

ऑक्सफैम फोरम हर साल वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम से पहले अपनी विश्व स्तरीय आर्थिक और लैंगिक असामनता पर सर्वे रिपोर्ट जारी करता है. वर्ल्ड इकॉनोमी फोरम की बैठक में इस रिपोर्ट पर विस्तार से चर्चा की जाती है.