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एजुकेशन लोन में एनपीए बढ़ने से बैंकों की समस्या बढ़ी

भारतीय बैंक संघ (आईबीए) के आंकड़े के अनुसार वित्त वर्ष 2016-17 के अंत में कुल शिक्षा कर्ज 67,678.5 करोड़ रुपए पहुंच गया है. इसमें 5,191.72 करोड़ रुपए एनपीए हो गया है

Bhasha

बैंकों के लिए एजुकेशन लोन भी अब समस्या बनती जा रही है. मार्च 2017 में  लोन डिफॉल्ट बढ़कर 7.67 फीसदी हो गया. दो साल पहले यह 5.7 फीसदी था. इंडियन बैंकिंग एसोसिएशन (आईबीए) के मुताबिक, फाइनेंशियल ईयर 2016-17 के अंत तक एजुकेशन लोन 67,678.5 करोड़ रुपए पहुंच गया है. इसमें से  5,191.72 करोड़ रुपए एनपीए हो गया है.

बैंकों की बढ़ी मुश्किल


सरकारी बैंक पहले से ही कर्ज में फंसे हुए हैं. इन्हें मजबूत करने के लिए सरकार बड़े पैमाने पर निवेश की योजना बना रही है. आईबीए के आंकड़े के अनुसार एजुकेशन लोन सेगमेंट एनपीए का हिस्सा तेजी से बढ़ रहा है.

फाइनेंशियल ईयर 2014-15 में एनपीए 5.7 फीसदी था. यह 2015-16 में बढ़कर 7.3 फीसदी और पिछले फाइनेंशियल ईयर में 7.67 फीसदी हो गया है. सरकार ने कुछ समय पहले बैंकों के एजुकेशन लोन मॉडल में संशोधन भी किया है. इसका मकसद बैंकों पर एनपीए का बोझ कम करना है.

क्या है बदलाव?

एजुकेशन लोन में पेमेंट ड्यूरेशन बढ़ाकर 15 साल कर दिया गया है. साथ ही 7.5 लाख रुपए तक के एजुकेशन लोन के लिए 'क्रेडिट गारंटी फंड स्कीम फॉर एजुकेशन लोन’ (सीजीएफईएल) की शुरुआत की गई है. लोन डिफॉल्ट होने पर सीजीएफएल 75 फीसदी फंड की गारंटी उपलब्ध कराता है.

आईबीए के आंकड़े के अनुसार एजुकेशन लोन में सबसे ज्यादा एनपीए इंडियन बैंक का है. इस सरकारी बैंक का एनपीए मार्च 2017 के अंत में सबसे ज्यादा 671.37 करोड़ रुपए रहा. उसके बाद एसबीआई (538.17 करोड़ रुपए) और पंजाब नेशनल बैंक (478.03 करोड़ रुपए) का स्थान रहा.