राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निपटान आयोग (NCDRC) ने देश की प्रमुख कार कंपनी मारुति सुजुकी को निर्देश दिया है कि एक उपभोक्ता की वाहन में गड़बड़ी की शिकायत को दूर नहीं करने के लिए वो उसकी कीमत लौटाए. उसके मुताबिक वाहन में किसी तरह की खराबी को दूर करने की जिम्मेदारी कार विनिर्माता की है.
एनसीडीआरसी ने कंपनी को आंध्र प्रदेश निवासी डॉ के. एस. किशोर को 3,30,710 रुपए लौटाने का निर्देश दिया है. आयोग ने कार कंपनी की राज्य आयोग के आदेश में संशोधन की अपील को खारिज कर दिया.
पीठासीन सदस्य बी. सी. गुप्ता की अगुवाई वाली पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘यह मारुति की जिम्मेदारी है कि वह खराबी को दूर कर शिकायतकर्ता को वाहन सड़क पर दौड़ने की हालत में सौंपे. जो तथ्य और परिस्थितियां सामने रखी गई हैं उनसे पता चलता है कि मारुति शिकायतकर्ता को वाहन सड़क पर चलने की स्थिति में सौंपने में विफल रही है.’
शिकायतकर्ता ने 10 जनवरी, 2003 को डीलर मित्रा एजेंसीज से अॉल्टो एलएक्स 800 कार 3,30,710 रुपए में खरीदी थी.
डीलर की अपील को किया अस्वीकार, कहा भुगतान करो
दूसरे, तीसरे और चौथे गियर में कार चलाने पर कार में झटका होता था और गियर बॉक्स असेंबली से जोर की आवाज आती थी. डीलर के पास कई बार चक्कर काटने के बावजूद इस गड़बड़ी को दूर नहीं किया जा सका.
जिला मंच ने शिकायतकर्ता की शिकायत पर डीलर को यह राशि 25,000 रुपए मुआवजे और 2,000 रुपए की मुकदमा लागत के साथ लौटाने का निर्देश दिया. डीलर ने अपनी ओर से किसी तरह की खामी से इनकार करते हुए कहा कि शोर की वजह गलत तरीके से वाहन चलाना हो सकती है.
राज्य आयोग ने डीलर की अपील को स्वीकार करते हुए कार कंपनी को कार की कीमत लौटाने का निर्देश दिया. मारुति को थोड़ी राहत प्रदान करते हुए 25,000 रुपए का मुआवजा हटा दिया गया.
हालांकि 2,000 रुपए की मुकदमा लागत को कायम रखा गया. एनसीडीआरसी ने शिकायतकर्ता की मुआवजा बढ़ाने की संशोधन याचिका को खारिज करते हुए राज्य आयोग के आदेश को उचित ठहराया है.