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एक्शन में मोदी सरकार: 800 करोड़ से ज्यादा की बेनामी संपत्ति जब्त

पीएम मोदी के सीधे आदेश के बाद जांच एजेंसियों ने उनके खिलाफ कार्रवाई तेज कर दी है

Ravishankar Singh

बेनामी संपत्ति रखने वालों पर मोदी सरकार लगातार सख्ती बरत रही है. मोदी सरकार आने के बाद कालाधन, बेनामी संपत्ति और भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रही मुहिम तेज हो गई है.

सरकार ने सोमवार को राज्यसभा में एक लिखित जानकारी देते हुए कहा है कि लगभग 800 करोड़ रुपए की बेनामी संपत्ति जब्त की है. देश के वित्त राज्य मंत्री संतोष गंगवार ने एक लिखित प्रश्न के जवाब में कहा, ‘संशोधित कानून लागू होने के बाद से 400 से अधिक बेनामी संपत्ति की पहचान की गई है. इस अधिनियम के तहत संपत्तियों को 230 से अधिक मामले में अस्थायी रूप से अटैच किया गया है.’


टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक मौजूदा वित्तीय वर्ष के शुरुआती तीन महीनों में ही 965 करोड़ 84 लाख रुपए की संपत्ति अटैच किया गया है.

मोदी सरकार आने के बाद क्या बदला?

मोदी सरकार आने के बाद इस साल 30 जून तक लगभग 22 हजार करोड़ रुपए की संपत्तियां अटैच की गई. शराब कारोबारी विजय माल्या की संपत्तियां जब्त होने से इस आंकड़े में तेजी आई है. अकेले माल्या ही करीब 10 हजार करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त की गई.

कालेधन और बेनामी संपत्ति के मामले में केंद्र की मोदी सरकार का अभियान लगातार जारी है. सरकार को इसमें लगातार सफलता भी मिल रही है. बीते 15 महीने में ही लगभग 12 हजार करोड़ रुपए की संपत्ति सिर्फ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा जब्त की गई है. बीते 15 महीने में जब्त की गई संपत्ति पिछले दस वर्षों में जब्त की गई संपत्ति से ज्यादा है.

क्या है इस बदलाव के मायने?

देश की ब्यूरोक्रेसी में अचानक आए इस बदलाव के कई मायने निकाले जा रहे हैं. देश की तमाम जांच एजेंसियां एक से बढ़ कर एक घोटालों का पर्दाफाश कर रही हैं. पिछले कुछ महीनों से अखबारों के हर रोज के पन्ने भ्रष्टाचारियों के कारगुजारियों से रंगे रहते हैं.

खासकर, पिछले कुछ महीनों से मोदी सरकार देश की ब्यूरोक्रेसी में व्याप्त भ्रष्टाचार पर विशेष नजर रख रही है. देश में मौजूद भ्रष्ट अधिकारियों, राजनेताओं और कारोबारियों की बेनामी संपत्तियों पर इस तरह की कार्रवाई पूर्व की सरकारों के समय कम ही देखने को मिलती थीं.

देश में बेनामी संपत्ति कानून आठ महीने पहले ही लागू किया गया था. पिछले साल एक नवंबर को बेनामी सौदा संशोधन कानून को लागू किया गया था. इन आठ महीनों में सिर्फ आयकर विभाग ने अब तक 240 से अधिक मामलों में 400 से ज्यादा बेनामी संपत्तियों का पता लगाया है.

कितनी प्रॉपर्टी हुई अटैच?

आयकर विभाग के मुताबिक 14 क्षेत्रों में अब तक 233 मामलों में 813 करोड़ रुपए की बेनामी संपत्ति जब्त की गई है. बेनामी अधिनियम के तहत 233 मामलों में संपत्तियों को अस्थायी तौर पर अटैच किया गया है.

आयकर विभाग ने 600 करोड़ रुपए से अधिक बेनामी संपत्तियों को कुर्क भी किया है. 240 मामलों में से 40 ऐसे मामलों में आयकर विभाग ने 530 करोड़ रुपए की संपत्ति को कुर्क किया है. कुर्क की गई अचल संपत्तियां दिल्ली, कोलकाता, मुंबई, गुजरात, राजस्थान, अहमदाबाद, बिहार और मध्य प्रदेश में स्थित हैं.

कोलकाता बेनामी संपत्ति के मामले में पहले नंबर रहा तो अहमदाबाद में 74 बेनामी संपत्तियों के ट्रांजेक्शन के मामले सामने आए. कोलकाता में केवल 4 मामलों में ही संपत्ति अटैच की गई है.

चेन्नई और मुंबई में कई बेनामी संपत्ति 

चेन्नई और मुंबई को मिलाकर 233 बेनामी संपत्ति के मामले सामने आए हैं. इनमें से 107 मामलों में संपत्ति अटैच की गई है. बेनामी संपत्ति अटैच होने के मामले में चैन्नई क्षेत्र दूसरे नंबर पर रहा. चेन्नई में 65 मामलों में 93 करोड़ 39 लाख रुपए की संपत्ति अटैच की गई. वहीं मुंबई क्षेत्र में 42 मामलों में 91 करोड़ 74 लाख रुपए की संपत्ति अटैच की गई.

देश में नए बेनामी कानून में अधिकतम सात साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है. देश में 8 नवंबर को नोटबंदी के बाद से सीबीडीटी ने देश में चल और अचल, प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संपत्तियों की खोजबीन शुरू की थी.  ये संपत्ति वास्तविक ऑनर के बजाए किसी और के नाम पर दर्ज हैं. नए कानून में इस तरह की संपत्तियों को बेनामी करार दिया गया है.

जानकार मानते हैं कि मोदी सरकार हाल के दिनों में भारतीय जांच एजेंसियों के महकमे में कई अहम बदलाव किए हैं. ये बदलाव कई स्तर पर किए गए हैं. एक दो विभाग को छोड़ दें तो ये पहला मौका है जब मोदी सरकार अपने हिसाब से देश की विभिन्न जांच एजेंसियों में अपनी पसंद के लोगों को नियुक्त किया है.

इसी का परिणाम है कि देश की जांच एजेंसियों के महकमे में बदलाव के साथ ही ब्यूरोक्रेसी की फिजा में भी बदलाव नजर आने लगी है.

भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्रवाई 

सूत्र बताते हैं कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने देश के तमाम उन भ्रष्ट अधिकारियों पर भी कार्रवाई के आदेश दे दिए हैं जो, पिछले काफी सालों से किसी ना किसी वजह से सरकार की आखों में धूल झोंकते आ रहे हैं.

सरकार के सूत्र कहते हैं कि पीएम मोदी के सीधे आदेश के बाद जांच एजेंसियों ने उनके खिलाफ कार्रवाई तेज कर दी है. प्रधानमंत्री मोदी ने 2014 लोकसभा चुनाव में ब्यूरोक्रेसी में व्याप्त भ्रष्टाचार के मुद्दे को खूब उछाला था. प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी जनसभाओं में भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का वादा किया था.