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शेयर बाजार में उठापटक के बीच जानें कहां और कैसे करना है निवेश

जहां निवेश के परंपरागत साधन उतने कारगर होते नहीं दिख रहे हैं वहीं दूसरी ओर नए विकल्प भी जोखिम भरे हैं

Madhurendra Sinha

इस समय देश के आर्थिक मोर्चे पर इतनी उठापटक है कि निवेशक समझ नहीं पा रहे कि वे अपना पैसा कहां लगाएं और उससे कमाई कैसे करें. जहां निवेश के परंपरागत साधन उतने कारगर होते नहीं दिख रहे हैं वहीं दूसरी ओर नए विकल्प भी जोखिम भरे हैं. उनमें तुरंत कुछ होता नहीं दिख रहा है. सरकारी बचत योजनाओं में भी पहले जैसा आकर्षण नहीं रहा. म्यचुअल फंड्स में भी काफी उतार-चढ़ाव है.

बैंकों में एफडी करके उसके ब्याज से आय प्राप्त करने का परंपरागत तरीका टैक्स और महंगाई के कारण अब उतना आकर्षक नहीं लगता है. ब्याज दरें भी सात प्रतिशत के आस-पास ही हैं. अपने पैसे बढ़ाने का यह भारतीयों का सबसे प्रिय साधन रहा है और आज भी है. इस बात का अंदाजा इसी से लगता है कि भारतीयों ने विभिन्न बैंकों में एक लाख करोड़ रुपए से भी ज्यादा रकम फिक्स्ड कर रखी है. लेकिन कम ब्याज और टैक्स के कारण यह साधन भी आकर्षक नहीं रहा.


महंगाई दर को घटाने के बाद तो आपकी पूंजी वहीं के वहीं रह जाती है. यानी कोई ग्रोथ नहीं. इस साल बजट में सरकार ने छोटे निवेशकों को राहत दी और अब वह 50,000 रुपए तक की रकम पर टैक्स नहीं देंगे. लेकिन बड़े निवेशकों को टैक्स देना ही होगा जो 30 प्रतिशत तक है और जैसा कि सभी जानते हैं, इन दिनों फिक्स्ड डिपॉजिट की औसत दर 7 प्रतिशत है.

गोल्ड के बारे में क्या है राय?

पैसे सुरक्षित रखने और बढ़ाने का एक पुराना तरीका है गोल्ड खरीदने का, जिसके रिटर्न पर कोई टैक्स नहीं है. गोल्ड ने अपने निवेशकों को कभी निराश नहीं किया और यह अभी भी दुनिया भर में सबसे सुरक्षित साधन माना जाता है. लेकिन अब गोल्ड उन बुलंदियों पर चला गया है जहां इसकी खरीदारी फायदे का सौदा नहीं है. अभी इसकी कीमतें 32,000 रुपए प्रति दस ग्राम के आसपास हैं और अंतर्राष्ट्रीय जगत में हो रही उठापटक के कारण इसकी कीमतें बढ़ती-घटती रह रही हैं. इसमें ज्यादा खरीदारी से खास लाभ नहीं है.

रियल एस्टेट का क्या है हाल

रियल एस्टेट ने इस सदी के शुरुआत में लोगों को मालामाल किया. लेकिन 2013 से इसमें गिरावट आनी शुरू हुई और यह घाटे का सौदा हो गया. इसमें निवेश करके लाखों लोग फंस गए. बिल्डरों के लालच और नेताओं की मिलीभगत से रियल एस्टेट इंडस्ट्री को धक्का लगा. इसका खामियाजा भुगता निवेशकों ने. अभी यह ऐसी स्थिति में नहीं है कि निवेशकों को लाभ पहुंचे. लेकिन अगर देश की अर्थव्यवस्था में तेजी आएगी तो यह निश्चित रूप से बढ़ेगा.

निवेशकों में बेहद पॉपुलर है डाकघर बचत योजना

डाकघर बचत योजनाएं छोटे निवेशकों में बेहद पॉपुलर हैं और लोग इनमें पैसे लगाते हैं. ये सुरक्षित हैं और इनमें आठ प्रतिशत तक की कमाई हो जाती है. पीपीएफ इसमें सबसे बढ़िया विकल्प है और इसमें न केवल 8 प्रतिशत ब्याज मिलता है बल्कि टैक्स में छूट भी. लेकिन समस्या है कि इसमें आप डेढ़ लाख रुपए से ज्यादा निवेश नहीं कर सकते.

NSC भी बेहतर ऑप्शन

नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट (NSC) भी निवेश का एक बढ़िया तरीका है. इसमें इन दिनों 7.90 प्रतिशत ब्याज मिल रहा है. इसमें डेढ़ लाख रुपए तक टैक्स की छूट भी है और अधिकतम राशि की सीमा नहीं है. इसमें पांच साल तक पैसे नहीं निकाले जा सकते .

शेयर बाज़ारों में निवेश करके लोगों ने एक समय अच्छी कमाई की और अपने धन को दुगना-तिगुना कर दिया लेकिन इस समय वहां हालत ऐसी नहीं रही कि पैसा लगाकर निश्चिंत हुआ जा सके. बाज़ार में इतना उठापटक है कि कुछ कहा नहीं जा सकता. पिछले दिनों जब मुंबई शेयर बाज़ार सूचकांक के 40,000 तक जाने की बातें कही जा रही थीं तब इसमें भारी गिरावट आई. एक दिन में ही बाज़ार 1,000 अंकों से ज्यादा गिर गया. निवेशकों को भारी चोट पहुंची. एक सामान्य निवेशक के लिए यह विकट स्थिति है और यहां काफी जोखिम दिख रहा है. अभी यह तीन महीने के न्यूनतम पर जा पहुंचा है. ऐसे में शांत होकर बैठ जाने में ही फायदा है, जल्दबाजी करके या गलत सलाह में फंसकर पैसे लगाने का फायदा नहीं है.

म्युचुअल फंडों का विज्ञापन 'सही है' वाकई में कितना सही?

अब बारी आती है म्युचुअल फंडों की. पिछले दिनों उसके विज्ञापन 'सही है' ने लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा. इस समय बड़ी तादाद में लोगों ने इनमें पैसा लगा रखा है. एक मोटे अनुमान के तौर पर देश में निवेशकों ने म्युचुअल फंडों में लगभग 24 लाख करोड़ रुपए लगा रखे हैं. विकसित देशों में निवेशक सारा निवेश इसी के जरिए करते हैं. अमेरिका में तो छोटे निवेशक शेयर बाज़ारों में निवेश इसी के जरिए करते हैं.

दरअसल पिछले कुछ वर्षों से निवेशकों ने इसकी ओर मुड़ना शुरू किया. अब इसमें निवेश के कई तरीके हैं और सबसे बड़ी बात है कि थोड़ी सी रकम से भी इसमें निवेश किया जा सकता है. लेकिन यहां दो बातें याद रखने की हैं. पहला तो यह कि म्युचुअल फंडों में निवेश जोखिम भरा होता है और यह बात वे खुद भी कहते हैं.

दूसरी बात यह है कि पिछले दिनों म्युचुअल फंडों का ऐसा प्रदर्शन रहा कि निवेशकों को काफी चूना लगा है. एक रिसर्च के मुताबिक कई म्युचुअल फंड घाटे में तो चले ही गए हैं और कई आईपीओ को बचाने में अपना पैसा गंवा बैठे. बिगड़े हुए हालात और निवेशकों को ललचाने के प्रयासों के कारण बाज़ार नियामक सेबी को भी इस दिशा में कड़े कदम उठाने को बाध्य होना पड़ा.लेकिन अब सवाल है कि वेल्थ क्रिएशन के लिए क्या किया जाए?

अपने पैसे को दुगना-तिगुना करने के लिए निवेशक क्या करे?

यहां पर मध्यम मार्ग अपनाना उचित होगा और बहुत सोच समझकर पैसे लगाने होंगे. ऐसा भी नहीं है कि गिरते हुए शेयर बाजारों में लोग पैसे नहीं कमाते हैं. शेयर बाज़ार के मंदी काल में भी समझदार निवेशकों ने अपना धन बढ़ाया है. यह बात हमेशा य़ाद रखनी चाहिए कि शेयर बाज़ार कोई जुआ घर नहीं है. यह लंबी रेस का घोड़ा है और सोच समझकर पैसा लगाने वाले यहां मालामाल भी हो जाते हैं.

शेयर बाजार में निवेश करने के लिए कंपनियों के बारे में पूरी जानकारी लें और उनका बैलेंस शीट देखें. उन्होंने पिछले वर्षों में कितना बोनस दिया, यह भी देखने की बात है. कंपनी का ट्रैक रिकॉर्ड देखें और तब निवेश करें. कभी किसी की बातों में आकर बाज़ार में पैसा न लगाएं. इन दिनों कई एक्सपर्ट मुफ्त में सलाह दे रहे हैं. लेकिन उनकी बातों में तुरंत न आएं. पहले कंपनी की पड़ताल खुद करें.

म्युचुअल फंडों में निवेश अगर सोच समझकर किया जाए तो बेहतर है. योजनाबद्ध तरीके से थोड़ा-थोड़ा निवेश करना उचित होगा. इसे सिप कहते हैं. इसी तरह ईएलएसएस जिसमें निवेशकों का पैसा इक्विटी में लगाया जाता है, एक अच्छा ऑप्शन है. लेकिन यह शेयर बाज़ार की चाल पर निर्भर करेगा. इसमें भी 10 प्रतिशत टैक्स लगता है. इसमें आप डेढ़ लाख रुपए लगाकर 80 सी के तहत टैक्स में छूट पा सकते हैं.

निवेश करने से पहले यह जान लें 

फिलहाल तो सूचकांक गिर पड़ा है और अभी इसमें कुछ निवेश करने का अच्छा मौका है. ध्यान रहे कि म्युचुअल फंड भी आपको तुरंत रिटर्न नहीं देंगे. थोड़ा इंतजार उचित होगा. बैलेंस्ड फंडों में भी आप पैसा लगा सकते हैं लेकिन जैसा कि वित्तीय बाज़ार की कहावत है कि ज्यादा जोखिम, ज्यादा रिटर्न, इसे ध्यान में रखें. एक और बात है कि म्युचुअल फंड सीधे खरीदें, किसी एजेंट या वित्तीय संस्था के जरिए नहीं क्योंकि इसमें काफी कमीशन चला जाता है.

अगर रियल एस्टेट धराशायी है तो यह भी लंबे समय में आपके लिए फायदे का सौदा हो सकता है बशर्ते आप देखभाल करके कहीं निवेश करें. ऐसे प्रोजेक्ट में पैसा लगाएं जो मकान बनाकर दे रहा हो या उसके प्रोजेक्ट सफल रहे हों. देश के आर्थिक हालात के सुधरने के बाद इसमें फिर तेजी आएगी.

आखिर में सोना. इसमें निवेश जरूर कीजिए लेकिन इसके रेट के गिरने का इंतज़ार करके. सोने में निवेश लंबे समय तक आपको सुरक्षा प्रदान करेगा. यह बहुत ज्यादा रिटर्न तो देगा नहीं लेकिन आपके बुरे समय में आपका साथ देगा. सोने ने अपने धारकों को कभी निराश नहीं किया है.