view all

दोतरफा मार: औद्योगिक उत्पादन घटा, महंगाई पांच महीने में सबसे ज्यादा

डिमांड कम होने से औद्योगिक उत्पादन की ग्रोथ कमजोर हुई, जबकि महंगाई दर में लगातार हो रहा है इजाफा

FP Staff

सरकार के तमाम वादों के बावजूद औद्योगिक उत्पादन और महंगाई पर कोई असर नजर नहीं आ रहा है. देश की अर्थव्यवस्था को बताने वाले इन दोनों आंकड़ों में सुधार की कोई सूरत नजर नहीं आ रही है.

एक तरफ जून में आईआईपी ग्रोथ -0.2 फीसदी रही. वहीं दूसरी तरफ अगस्त में रिटेल महंगाई दर (कंज्यूमर इंफ्लेशन रेट) बढ़कर 3.36 फीसदी हो गई है. हालांकि जुलाई के आईआईपी के आंकड़ों में मामूली सुधार हुआ है. जुलाई में आईआईपी की ग्रोथ मामूली सुधार के साथ 1.2 फीसदी रही है. अगर हम अप्रैल से जुलाई 2017 तक के आंकड़ों को देखें तो यह बेहद निराश करने वाला है. सालाना आधार पर देखें तो इस दौरान आईआईपी ग्रोथ 6.5 फीसदी से घटकर 1.7 फीसदी पर आ गई है.


क्या है महंगाई का हाल

एक तरफ औद्योगिक उत्पादन की हालत खराब है दूसरी तरफ रिटेल महंगाई दर पांच महीने के सबसे उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है. अगर महंगाई में लगातार इसी तरह बढ़ोतरी होती रही तो फेस्टिव सीजन में जनता की दीवाली के बजाय दिवाला निकलेगा.

जुलाई में रिटेल महंगाई की दर 2.36 फीसदी रही थी. वहीं, महीने दर महीने के आधार पर अगस्त में कोर महंगाई दर 3.9 फीसदी से बढ़कर 4.5 फीसदी रही है.

महीने दर महीने के आधार पर अगस्त में शहरी इलाकों की रिटेल महंगाई दर 2.17 फीसदी से बढ़कर 3.35 फीसदी रही है. वहीं, इस दौरान ग्रामीण इलाकों की रिटेल महंगाई दर 2.41 फीसदी से बढ़कर 3.3 फीसदी रही है.

अगस्त में सब्जियों की रिटेल महंगाई दर -3.57 फीसदी से बढ़कर 6.16 फीसदी रही है. वहीं, अगस्त में दालों की रिटेल महंगाई दर -24.75 फीसदी के मुकाबले -24.43 फीसदी रही है.

महीने दर महीने के आधार पर अगस्त में खाद्य महंगाई दर -0.36 फीसदी से बढ़कर 1.52 फीसदी रही है. वहीं, फ्यूल की रिटेल महंगाई दर 4.86 फीसदी से बढ़कर 4.94 फीसदी रही है.