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ईरान प्रतिबंध: US से मिली रियायत के बाद भारत अब रुपए में खरीदेगा तेल

दोनों देश ऐसी व्यवस्था कायम करने पर काम कर रहे हैं जिससे की तेल आयात कने के बाद भारत इसका भुगतान अपने ही देश के बैंक में अपनी मु्द्रा रुपए में कर सके

FP Staff

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2015 में हुए परमाणु समझौते के तहत ईरान पर लगाए गए सभी प्रतिबंध वापस लगा दिए हैं. इन प्रतिबंधों के तहत अमेरिका ने उन देशों के खिलाफ भी कठोर कदम उठाने की बात कही है जो ईरान के साथ कारोबार जारी रखेंगे.

टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोंपियो ने कुछ देशों को रियायत देने की बात भी कही है. पोंपियो का कहना है कि ईरान से होने वाले तेल आयात को कुछ देश तुरंत नहीं रोक सकते. ऐसे में उन्हें 180 दिनों में ईरान से आयात घटाने और फिर धीरे-धीरे इसे पूरी तरह बंद करने का मौका दिया जाएगा. इन देशों में भारत, इटली, जापान, दक्षिण कोरिया और तुर्की शामिल हैं.


इधर अमेरिका के इस फैसले के बाद भारत और ईरान बातचीत कर के कोई बीच का रास्ता तलाश करने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे की तेलों की आयात में कोई दिक्कत ना आ सके. दोनों देश ऐसी व्यवस्था कायम करने पर काम कर रहे हैं जिससे की तेल आयात कने के बाद भारत इसका भुगतान अपने ही देश के बैंक में अपनी मु्द्रा रुपए में कर सके. ऐसे में भारत यूको बैंक के एक अकाउंट में पेमेंट की पुरनी व्यवस्था को बहाल करेगा. यूको बैंक को अंतररष्ट्रीय स्तर पर ज्यादा लोग नहीं जानते इसलिए इस पर प्रतिबंधों का खतरा भी ज्यादा नहीं है.

भारत अभी तक ईरान को दो हिस्सों में पेमेंट करता है

ईरान खाड़ी देशों के मुकाबले तेल यात के भुगतान के लिए ज्यादा बड़ी समय-सीमा देता है. भारत ईरान को दो हिस्सों में पेमेंट करता है. 45 फीसदी यूको बैंक के खाते में रुपए में और 55 फीसदी पेमेंट यूरो में, लेकिन अब भारत सारा पेमेंट रुपए में ही करेगा. इसका यह मतलब है कि अगर स्वीफट बैंक सिस्टम से ईरानी बैंक को बैन भी कर दिया जाएगा, इसके बावजूद भारत भुगतान जारी रख सकेगा.

अमेरिका ईरान के एनर्जी सेक्टर, शिपिंग, शिपबिल्डिंग और वित्तिय सेक्टर पर भी प्रतिबंध लगाने वाला है. अमेरिका के सीनियर अधिकारी ब्रायन हूक ने इसकी पुष्टि कते हुए कहा कि जो भी देश ईरान से तेल आयात जारी रखना चाहते हैं उन्हें एस्क्रो अकाउंट बनाना होगा. हुक के मुताबिक एस्क्रो अकाउंट से भुगतान करने पर ईरान को ना ही हार्ड करेंसी मिलेगी और ना ही रेवेन्यू मिलेगा.

ईरान एस्क्रो अकाउंट में मौजूद पैसों को सेव भी नहीं कर सकता. उसे इन्हें खर्च ही करना पड़ेगा. हुक ने कहा इस पर कहा कि अमेरिका ऐसे देशों जो एस्क्रो अकउंट के जरिए भुगतान करेंगे, उन्हें इस बात के लिए प्रोत्साहित करेगा कि ईरान उऩ पैसों को अपने देश के लोगों की भलाई के लिए खर्च करे.

उधर ईरान को इन सब से बचाने के लिए यूरोपियन यूनियन एसपीवी (स्पेशल पर्पस वीकल) की घोषणा कर सकता है, लेकिन इसमें कई कठिनाइयां हैं. यह 2019 में ही शुरू हो पाएगा.