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अस्पतालों को समय से भुगतान नहीं किया तो देना पड़ सकता है जुर्माना

आयुष्मान भारत राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के तहत गरीब परिवारों को स्वास्थ्य एवं मेडिकल क्षेत्र में वित्तीय सहायता प्रदान करना बीमा कंपनियों का काम है

FP Staff

भारत सरकार ने उन बीमा कंपनियों पर जुर्माना लगाने का प्रस्ताव दिया है जो केंद्र की महत्वाकांक्षी 'आयुष्मान भारत राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा योजना' (एनएचपीएस) के तहत किए गए दावों में अस्पतालों को समय से भुगतान नहीं करती हैं.

क्या है 'आयुष्मान भारत राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा योजना'?


वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आम बजट 2018 में मेडिकल और स्वास्थ्य संबंधित एक नई योजना की शुरुआत की थी. इस योजना का नाम रखा गया आयुष्मान भारत राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा योजना. इसके तहत गरीब परिवारों को स्वास्थ्य एवं मेडिकल क्षेत्र में वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी. पूर्व में सहायता की राशि 1 लाख थी, जिसे बढ़ाकर 5 लाख कर दिया गया है. अस्पतालों को इस राशि का भुगतान करने की जिम्मेदीरी बीमा कंपनियों की होती है.

अगर कोई बीमा कंपनी दावे का भुगतान अदा करने में 15 दिन से ज्यादा की देरी करती है तो उसे दावा राशि पर तब तक एक फीसदी का ब्याज देना होगा, जब तक वह पूरी तरह से भुगतान अदा नहीं कर देतीं.

योजना के तहत 10 करोड़ परिवारों को कवर किया जाएगा

स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि गुरुवार को जारी एक दस्तावेज के अनुसार बीमा कंपनी सीधे संबंधित अस्पताल को जुर्माना राशि अदा करेगी. इस दस्तावेज में इस योजना के तहत कवर होने वाली राशि और प्रक्रिया की सूची है.

अब तक 20 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने एनएचपीएस लागू करने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ एमओयू (ज्ञापन पत्र) पर हस्ताक्षर किए हैं. इसका लक्ष्य कमजोर तबके के 10 करोड़ परिवारों को पांच लाख रुपये तक का कवर मुहैया कराना है.

योजना की शुरुआत 15 अगस्त से होगी

अधिकारी ने बताया कि दिल्ली, ओडिशा, पंजाब और पश्चिम बंगाल ने अब तक इस योजना को अपनाने पर कोई सरकारात्मक रुख नहीं दिखाया है. हालांकि, इन राज्यों में भी इस योजना को लागू करने पर बातचीत चल रही है. ऐसी संभावना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस योजना की शुरुआत 15 अगस्त को करेंगे.

स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने कहा था कि यह पहल दुनिया का सबसे बड़ा हेल्थकेयर कार्यक्रम बन जाएगा क्योंकि आबादी के मामले में भारत दूसरे स्थान पर है और यह कार्यक्रम इसके स्वास्थ्य परिदृश्य को बदल देगा.

केंद्र सरकार द्वारा वित्तपोषित इस योजना का लक्ष्य गरीब, वंचित ग्रामीण परिवारों और शहरी श्रमिकों के परिवारों की व्यवसायिक श्रेणी के लोगों को लाभ देना है.

(इनपुट भाषा से)