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भारत की आर्थिक वृद्धि दर 2019-20 में 7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान: IMF

निवेश में बढ़ोतरी और मजबूत निजी खपत की बदौलत भारत की आर्थिक वृद्धि दर वित्त वर्ष 2019-20 में बढ़कर 7.5 प्रतिशत होने का अनुमान है

Bhasha

निवेश में बढ़ोतरी और मजबूत निजी खपत की बदौलत भारत की आर्थिक वृद्धि दर वित्त वर्ष 2019-20 में बढ़कर 7.5 प्रतिशत होने का अनुमान है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने अपनी हालिया रपट में यह बात कही. आईएमएफ ने मंगलवार को प्रकाशित अपनी रिपोर्ट में कहा कि अल्प अवधि में वृहद आर्थिक नीतियां और संरचनात्मक सुधार व्यापक रूप से भारत के पक्ष में है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि निवेश में बढ़ोतरी तथा मजबूत निजी खपत के आधार भारत की आर्थिक वृद्धि दर 2018-19 में 7.3 प्रतिशत तथा 2019-20 में 7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है.


साथ ही वित्त वर्ष 2018-19 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स) आधारित मुद्रास्फीति (इनफ्लेशन) के बढ़कर 5.2 प्रतिशत होने का अनुमान जताया गया है. रुपए की विनिमय दर (एक्सचेंज रेट) में गिरावट, कच्चे तेल की उच्च कीमतों, आवासीय किराया भत्ता (एचआरए) और कृषि उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के साथ मांग स्थितियों में कमी आने से मुद्रास्फीति बढ़ने की आशंका जताई गई है.

कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें, आयात में वृद्धि और विदेश से भेजे जाने वाले धन में कमी से चालू खाता घाटा (करेंट अकाउंट डेफिसिट) भी बढ़कर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 2.6 प्रतिशत होने का अनुमान है.

संरचनात्मक सुधारों में जारी प्रगति होगी फलदायी

रिपोर्ट में कहा गया है कि दोहरी बैलेंस शीट की समस्या को दूर करने के साथ-साथ बैंकों की ऋण देने की क्षमता में जान फूंकने और ऋण प्रावधान की दक्षता बढ़ाने के लिए वित्तीय क्षेत्र में सुधार किए गए हैं. आईएमएफ ने कहा कि 'स्थायित्व आधारित वृहद आर्थिक नीतियां और संरचनात्मक सुधारों में जारी प्रगति देश के लिए फलदायी' होगी.

इसमें कहा गया है कि जीएसटी और नोटबंदी से जुड़ी दिक्कतों के कारण 2017-18 में वृद्धि दर गिरकर 6.7 प्रतिशत पर आ गई थी लेकिन निवेश में तेजी से इसमें सुधार आया. वित्त वर्ष 2017-18 में मुद्रास्फीति औसतन 3.6 प्रतिशत रही. यह 17 साल का निम्न स्तर है.

जीएसटी को सरल करना होगा मददगार

मुद्रा कोष ने अपनी सिफारिश में कहा कि सार्वजनिक ऋण स्तर को कम करने के लिए राजकोषीय मजबूती की आवश्यकता है. जीएसटी को सरल और सुव्यवस्थित करना इसमें मददगार हो सकता है.

आईएमएफ ने कहा कि गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) की पहचान करने और सरकारी बैंकों के पुनर्पूंजीकरण (रिकैपिटलाइजेशन) की दिशा में अहम कदम उठाये गये हैं लेकिन इस दिशा में अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है.

मांग में सुधार और कच्चे तेल में तेजी से मध्यम-अवधि मुद्रास्फीति मई 2018 में बढ़कर 4.9 प्रतिशत हो गयी. यह भारतीय रिजर्व बैंक के मुद्रास्फीति के 4 प्रतिशत दायरे में रखने के लक्ष्य से अधिक है.

आईएमएफ अधिशाषी बोर्ड के निदेशकों ने भारत की मजबूत आर्थिक वृद्धि का स्वागत किया तथा महत्वपूर्ण और व्यापक सुधारों के लिए भारतीय अधिकारियों की सराहना की.