नीति आयोग के निवर्तमान उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने सोमवार को कहा कि भारत में गरीबी उन्मूलन को असमानता मिटाने के उपर वरीयता दी जानी चाहिए. इसके साथ ही पनगढ़िया ने कहा है कि देश में अवसरों में समानता, स्वास्थ्य और शिक्षा पर अधिक ध्यान दिए जाने की जरूरत है.
उन्होंने एक कार्यक्रम में कहा कि गरीबी उन्मूलन और असमानता में कमी लाने के लक्ष्यों को लेकर गंभीर द्वंद्व हो सकता है. उन्होंने कहा, ‘मैं अवसरों की समानता, स्वास्थ्य और शिक्षा पर अधिक ध्यान दूंगा.’
उन्होंने कहा, ‘जब हम हमारी ऐतिहासिक और आर्थिक नीतियों पर गौर करते हैं तो वास्तव में 1960- 1970 के दशक में हम असमानता को लेकर बहुत ही अधिक चिंतित थे और इसी के चलते नीतिगत गलतियां हुईं.’
गरीबी उन्मूलन और असमानता हटाने पर हो जोर
उन्होंने कहा कि असमानता जटिल बहु आयामी है और भारत जैसे विकासशील देशों में गरीबी उन्मूलन और असमानता हटाने पर वरीयता दी जानी चाहिए.
पनगढ़िया ने कहा, 'धनी देशों के असमानता बड़ा मुद्दा है. भारत के लिए गरीबी उन्मूलन, असमानता मिटाने की तुलना में अधिक मायने रखती है.'
उन्होंने कहा कि गिनी गुणांक के हिसाब से तो केरल सबसे अधिक असमानता वाला राज्य जबकि बिहार सबसे अधिक समानता वाला राज्य है. गरीबी उन्मूलन पर ध्यान देना बहुत महत्वपूर्ण है.
उल्लेखनीय है कि पनगढ़िया अपने पद से इस्तीफा दे चुके हैं और वे 31 अगस्त तक इस पद पर रहेंगै.
नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने कहा कि भारत में 201 पिछड़े जिले हैं जिनका जल्द से जल्द कायापलट किया जाना चाहिए ताकि देश में असमानता को मिटाया जा सके.