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GST: वो 5 बातें जो आपको 'एक देश एक टैक्स' के बारे में जरूर जाननी चाहिए

केवल 19 फीसदी चीजें ही ऐसी होंगी जो 28 फीसदी टैक्स के दायरे में आएंगी.

FP Staff

एक जुलाई से पूरे देश में एक साथ जीएसटी लागू हो रहा है. इस मौके पर आधी रात को ही संसद के सेंट्रल हॉल में एक बड़े कार्यक्रम का आयोजन किया गया है, जिसमें राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक साथ जीएसटी को देश भर में लॉन्च करेंगे.

क्या है जीएसटी


गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) एक अप्रत्यक्ष कर यानी इंडायरेक्ट टैक्स है. जीएसटी के तहत वस्तुओं और सेवाओं पर एक समान टैक्स लगाया जाएगा है. पहले राज्य और केंद्र सरकारें अलग-अलग टैक्स लगाती थीं. अब उपभोक्ताओं को सिर्फ एक टैक्स देना होगा. इस टैक्स में राज्य और केंद्र सरकार का अपना-अपना शेयर होगा. जीएसटी हर सेवा पर नहीं लागू होगा. टैक्स चोरी रोकने के लिए फ्रांस ने 1954 में सबसे पहले जीएसटी लागू किया था. इसके बाद से करीब 160 देशों के पास आज GST/VAT है. जबकि कनाडा में डुअल-जीएसटी (राज्य का अलग और देश का अलग जीएसटी) लागू है. इन देशों के जैसे भारत ने भी डुअल जीएसटी ही अपनाने का फैसला किया है.

कौन तय करता है जीएसटी रेट?

प्रस्तावित कानून में जीएसटी रेट तय करने का अधिकार जीएसटी काउंसिल को दिया गया है, जिसमें केंद्र और राज्यों की सहमति से इसे तय करने की बात कही गई है. जीएसटी काउंसिल में केंद्रीय वित्त मंत्री समेत सभी राज्यों के वित्त मंत्री भी सदस्य होते हैं.

कहां कराना होगा जीएसटी के लिए रजिस्ट्रेशन

जीएसटी के लिए ढांचागत संरचना बनाने की जिम्मेदारी जीएसटी नेटवर्क (GSTN) नामक कंपनी को दी गई है. इस गैर सरकारी, प्राइवेट कंपनी में 24.5 फीसदी स्टेक होल्डिंग केंद्र सरकार की है. ये कंपनी जीएसटी लागू करने के लिए सरकार, टैक्सपेयर्स और अन्य सर्विस प्रोवाइडर्स को आईटी इंफ्रास्ट्रक्चर और सपोर्ट सर्विसेस मुहैया कराएगी.

रिटर्न फाइल करने के लिए दो महीनों की ढील

जीएसटी के लिए खुद को तैयार करने के लिए वित्त मंत्रालय ने कारोबियों को कुछ समय की महौलत दी है. जीएसटी काउंसिल ने रिटर्न दाखिल करने की समय सीमा में दो महीने तक की ढील दी है. इससे कारोबारियों को अतिरिक्त समय मिल जाएगा. केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि रिटर्न दाखिल करने की समय सीमा में छूट दी जाएगी. लेकिन जीएसटी तय समय पर लागू किया जाएगा.

इन सामानों पर नहीं लगेगा टैक्स

बटर मिल्क, दही, शहद, फल और सब्जियां, फ्रेश मीट, फिश चिकन, अंडा, दूध, आटा, बेसन, ब्रेड, प्रसाद, नमक, बिंदी, सिंदूर, स्टाम्प, न्यायिक दस्तावेज, प्रिंटेड बुक्स, अखबार, चूड़िया और हैंडलूम जैसे रोजमर्रा के सामान जीएसटी से बाहर रखे गए हैं. इसके साथ ही पेट्रोलियम से जुड़े प्रोडक्ट्स में जीएसटी लागू नहीं होगा.

जीएसटी के अन्तर्गत 1211 वस्तुओं पर टैक्स तय कर लिया गया है. जीएसटी लागू होने के बाद इनमें से अधिकतर वस्तुओं के बाजार मूल्य में कमी की उम्मीद है. इसकी वजह यह है कि इन वस्तुओं पर लगने वाला प्रस्तावित टैक्स वर्तमान टैक्स से कम है. जीएसटी काउंसिल ने टैक्स स्लैब के मुताबिक जो सामान तय किए हैं, उनमें ज्यादातर सामानों पर 5 से लेकर 18 फीसदी टैक्स लगेगा. बड़ी बात ये है कि अनाज को टैक्स के दायरे से बाहर रखा गया है. केवल 19 फीसदी चीजें ही ऐसी होंगी जो 28 फीसदी टैक्स के दायरे में आएंगी.

जैसे ही सामान एक राज्य से दूसरे राज्य में जाता है तो सबसे पहले देना होता है एंट्री टैक्स. इसके अलावा अलग-अलग मामलों में अलग-अलग सेस भी लगता है. एंट्री टैक्स के बाद उस राज्य में वैट यानी सेल्स टैक्स लगता है. जो अलग-अलग राज्य में अलग-अलग होता है. इसके अलावा अगर इन सामान का नाता रिश्ता अगर एंटरटेनमेंट से है तो एंटरटेनमेंट या लग्जरी टैक्स भी लगता है. साथ ही कई मामलों में परचेज टैक्स भी देना होता है. इसके अलावा ऐसे कई टैक्स हैं जो गिनाए नहीं जा सकते. फिलहाल अलग-अलग तरह के 18 टैक्स होते हैं, जो जीएसटी लागू होने के बाद खत्म हो जाएंगे.