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1 अप्रैल से पूरे देश में लागू होगा इंटर स्टेट ई-वे बिल: जेटली

अरुण जेटली ने कहा कि जीएसटी रिटर्न फाइल करने की मौजूदा प्रणाली को और तीन माह के लिए बढ़ा दिया गया है

FP Staff

जीएसटी काउंसिल की शनिवार को हुई 26 वीं बैठक के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि जीएसटी रिटर्न फाइल करने की मौजूदा प्रणाली को और तीन माह के लिए बढ़ा दिया गया है. अरुण जेटली ने बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि मौजूदा प्रणाली को 3 महीने के लिए बढ़ा दिया गया है और इस बीच में इनकम टैक्स पर मंत्रियों का समूह टैक्स विशेषज्ञों और अन्य लोगों से सलाह-मशविरा करेगा.

वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म के प्रस्ताव को भी 3 महीने के लिए बढ़ा दिया गया है. रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म में सामान्यतः सप्लायर यानी वस्तु या सेवा को बेचने वाला व्यक्ति ग्राहक से जीएसटी चार्ज करता हैं और सरकार को जमा करवाता हैं. लेकिन कुछ परिस्थितियों में जीएसटी की जिम्मेदारी सप्लायर पर न होकर रिसीवर यानी वस्तु या सेवा खरीदने वाले व्यक्ति पर होती हैं, इसे ही रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म (आरसीएम) कहते हैं. रिवर्स चार्ज में खरीदने वाला GST का भुगतान विक्रेता को न करके सीधा सरकार को जमा को जमा करवाता हैं. कुछ परिस्थितियों में Partial Reverse Charge भी होता हैं यानी कि GST के कुछ भाग की जिम्मेदारी क्रेता पर और बाकी हिस्से की जिम्मेदारी विक्रेता पर होती हैं.


1 जून तक पूरे देश में लागू हो जाएगा इंट्रा स्टेट ई-वे बिल

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने यह भी बताया कि निर्यातकों के लिए टैक्स में छूट छह माह के लिए बढ़ाई गई है. एक महत्वपूर्ण फैसले में वित्त मंत्री ने कहा, माल के अंतरराज्यीय आवागमन के लिये ई-वे बिल को एक अप्रैल से अमल में लाया जाएगा. राज्य के भीतर के लिए ई-वे बिल को 15 अप्रैल से धीरे धीरे शुरू किया जाएगा और एक जून तक पूरे देश में इसे लागू कर दिया जाएगा.

राज्य के अंदर ही स्टॉक ट्रांसपोर्ट करने के लिए इंट्रा स्टेट ई-वे बिल बनेगा, जबकि एक राज्य से दूसरे राज्य में स्टॉक भेजने या मंगाने के लिए इंटर स्टेट ई-वे बिल बनेगा. इसके अलावा जीएसटी काउंसिल की 26 वीं मीटिंग में रिटर्न को आसान बनाने को लेकर फिलहाल कोई फैसला नहीं हो पाया है. फिलहाल इंट्रा स्टेट ई-वे बिल तीन राज्यों केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु में 15 अप्रैल लागू होगा और इसके बाद अन्य राज्यों में लागू किया जाएगा.

जीएसटी लागू होने के बाद 50 हजार रुपए या ज्यादा के माल को एक राज्य से दूसरे राज्य या राज्य के अंदर 50 किलोमीटर या अधिक दूरी तक ले जाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक परमिट की जरूरत होगी. इस इलेक्ट्रॉनिक बिल को ही ई-वे बिल कहते हैं, जो जीएसटीएन नेटवर्क के अंतर्गत आता है.