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टैक्स मामलों के केस घटाने के लिए सरकार ने रकम की सीमा बढ़ाई

अभी कर विभाग 20 लाख से अधिक कर राशि के मामलों में ही हाई कोर्ट जाता है, इस सीमा को अब बढ़ाकर 50 लाख रुपए कर दिया गया है

Bhasha

वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने गुरुवार को कहा कि सरकार ने कर विभाग द्वारा अदालतों और अधिकरणों में अपील दायर करने की मौद्रिक सीमा बढ़ाने का निर्णय किया है. इससे सरकार को कानूनी विवादों में 41% कमी लाने में मदद मिलेगी. फिलहाल करीब पांच लाख करोड़ रुपए का राजस्व कानूनी वादों (लिटिगेशन्स) के चलते अटका पड़ा है.

वित्त मंत्री ने कहा कि अभी कर विभाग आयकर अपीलीय अधिकरण और सीमाशुल्क, उत्पाद शुल्क एवं सेवाकर अपीलीय अधिकरण में केवल उन्हीं मामलों में अपील दायर कर सकता है जिसमें 10 लाख रुपए की कर राशि शामिल है, इस सीमा को बढ़ाकर 20 लाख या उससे अधिक कर दिया गया है.


इसी प्रकार वर्तमान में कर विभाग उच्च न्यायालयों में 20 लाख से अधिक कर राशि के मामलों में ही अपील दायर कर सकता है , इस सीमा को अब बढ़ाकर 50 लाख रुपए कर दिया गया है. सुप्रीम कोर्ट में दायर किए जाने वाले कर मामलों की मौजूदा सीमा अभी 25 लाख रुपए है जिसे बढ़ाकर एक करोड़ रुपए कर दिया गया है.

गोयल ने कहा कि इससे लोगों का कर प्रणाली में विश्वास बढ़ेगा. वहीं ईमानदार, छोटे और मध्यम दर्जे के कर दाताओं को राहत मिलेगी. उन्होंने यहां पत्रकारों से कहा कि सरकार के इस कदम से हर तरह के कर वादों में 41% की कमी आएगी.

इस सीमा को बढ़ाए जाने का लाभ यह होगा कि आयकर अपीलीय अधिकरण में दाखिल 34% कर मामले खत्म हो जाएंगे. जबकि हाईकोर्ट में दाखिल 48% और सुप्रीम कोर्ट में 54% मामले खत्म हो जाएंगे.

गोयल ने कहा कि कई बार देखा गया है कि कर वसूली की राशि से ज्यादा वाद (लिटिगेशन्स) की लागत हो जाती है, ऐसे में इस कदम से इसे कम करने में मदद मिलेगी साथ ही यह कर दाताओं को भी राहत देगा. उन्होंने कहा कि अपील केवल उन्हीं मामलों में की जाएगी जहां कोई महत्वपूर्ण कानूनी मुद्दा शामिल होगा.