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2017-18 में 6.5% रहेगी जीडीपी की वृद्धि दर: सीएसओ

सीएसओ ने कहा है कि वित्त वर्ष 2017-18 के लिए जीडीपी वृद्धि का पूर्वानुमान 6.5 प्रतिशत किया गया जो वित्त वर्ष 2016-17 के 7.1 प्रतिशत की तुलना में नीचे है

Bhasha

वित्तीय वर्ष 2017-18 की सितंबर तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर कुछ सुधार के साथ 6.3 प्रतिशत रही है. जून तिमाही में यह 5.7 प्रतिशत के निचले स्तर पर आ गई थी. भारतीय रिजर्व बैंक ने पूरे वित्त वर्ष के लिए अपने वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर 6.7 प्रतिशत कर दिया है. केंद्रीय बैंक का अनुमान है कि शेष दो तिमाहियों में वृद्धि दर 7 और 7.5 प्रतिशत के उच्चस्तर पर रहेगी. वहीं सीएसओ ने कहा है कि वित्त वर्ष 2017-18 के लिए जीडीपी वृद्धि का पूर्वानुमान 6.5 प्रतिशत किया गया जो वित्त वर्ष 2016-17 के 7.1 प्रतिशत की तुलना में नीचे है.

नोटबंदी और जीएसटी का पड़ा प्रभाव


नोटबंदी और जीएसटी जीडीपी में गिरावट की मुख्य वजह मानी जा रही है. हालांकि मूडीज सहित कई रेटिंग एजेंसियों ने यह कहा कि लंबे वक्त में भारत की जीडीपी में बढ़ोतरी होगी.

एक अन्य वैश्विक रेटिंग एजेंसी फिच ने कहा है कि देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर अगले पांच साल में औसतन 6.7 प्रतिशत रह सकती है और भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में होगा. हालांकि, यह वृद्धि दर संभावित और नीति निर्माताओं की आकांक्षाओं से कम होगी. लेकिन यह चीन और इंडोनेशिया के 5.5 प्रतिशत के वृद्धि दर के अनुमान से अधिक है.

जनसांख्यिकीय की दृष्टि से भारत दुनिया के सबसे युवा देशों में है और यहां दुनिया का सबसे बड़ी कामकाजी आबादी रहती है. इसके अलावा भारत को निवेश की दर से भी फायदा मिलेगा. फिच ने कहा कि अगले पांच साल में भारत में कामकाजी आयु वर्ग में तेज वृद्धि होगी, जिससे वृद्धि की संभावना बढ़ेगी. उसने कहा कि मैक्सिको, तुर्की और ब्राजील को भी इसी रुख से लाभ होगा.