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जीएसटी इफैक्ट: पुराने पैमाने पर जीडीपी ग्रोथ रेट महज 5 फीसदी रहने की उम्मीद

ब्रोकरेज कंपनी नोमूरा का कहना है कि महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि जीएसटी की वजह से आने वाली अड़चनों की वजह से इकनॉमी कब तक उबर पाएगी

Bhasha

कुछ विदेशी ब्रोकरेज कंपनियों ने चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के जीडीपी की वृद्धि दर के आंकड़ों को निराशाजनक बताते हुए पूरे वित्त वर्ष के लिए अपने वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर 7 प्रतिशत से कम कर दिया है. सरकार का लक्ष्य 7 प्रतिशत का है.

कुछ विश्लेषकों का कहना है कि इससे यह संभावना बन रही है कि रिजर्व बैंक इस साल वृद्धि को प्रोत्साहन के लिए ब्याज दरों में कटौती करेगा.


एचएसबीसी के विश्लेषकों ने वृद्धि दर में गिरावट को निराशाजनक बताते हुए कहा है कि जीएसटी से पहले स्टॉक निकालने, रुपए की मजबूती, कमजोर कृषि और सब्सिडी के लिए ऊंचे भुगतान को इसकी वजह बताया है.

बैंक आफ अमेरिका मेरिल लिंच ने कहा है कि जीडीपी की वृद्धि दर ‘करीब पांच प्रतिशत’ रही है जो पुराने तरीके से की जाने वाली गणना के तहत सात प्रतिशत की क्षमता से काफी कम है. बोफाएमएल ने अपने जीवीए वृद्धि के अनुमान को पहले के 7.2 प्रतिशत से घटाकर 6.9 प्रतिशत कर दिया है.

फिर रेट कट कर सकता है आरबीआई

उसने कहा कि रिजर्व बैंक दिसंबर के मॉनीटरी पॉलिसी रिव्यू में ब्याज दरों में कटौती कर सकता है. बोफाएमएल ने कहा, ‘हालांकि, टमाटर और प्याज के दाम बढ़ने की वजह से मुद्रास्फीति अगस्त में बढ़कर 3.1 प्रतिशत हो गई है और 2017-18 की पहली छमाही में 4.6 से 4.9 प्रतिशत के बीच है. इसके बावजूद यह रिजर्व बैंक से दो से छह प्रतिशत के मुद्रास्फीति के लक्ष्य के दायरे में है.’

ब्रोकरेज कंपनी नोमूरा का कहना है कि महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि जीएसटी की वजह से आने वाली अड़चनों की वजह से इकनॉमी कब तक उबर पाएगी. नोमूरा का मानना है कि रिजर्व बैंक अभी ब्याज दरों में बदलाव नहीं करेगा.

मॉर्गन स्टेनली के विश्लेषकों का कहना है कि उन्हें सुधार की संभावना दिख रही है पर जो आंकड़े आए हैं उनसे उसका वृद्धि का अनुमान नीचे की ओर जाने का जोखिम है.