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नारायणमूर्ति पर आरोप लगाने के लिए पई ने की सिक्का की आलोचना

पई ने कहा कि अपने खराब प्रदर्शन को छिपाने के लिए सिक्का ने ऐसा किया

Bhasha

इंफोसिस के पूर्व मुख्य वित्त अधिकारी (सीएफओ) मोहनदास पई ने कंपनी में संकट के लिए सह-संस्थापक एन आर नारायणमूर्ति पर आरोप लगाने को लेकर कार्यकारी उपाध्यक्ष विशाल सिक्का की सोमवार को कड़ी आलोचना की. उन्होंने कहा कि अपने खराब प्रदर्शन को छिपाने के लिए सिक्का ने ऐसा किया.

उन्होंने कहा कि कार्यकारी उपाध्यक्ष के रूप में सिक्का की नियुक्ति को लेकर कंपनी संचालन के मामले में सवाल भी खड़ा हुआ है. ई-मेल के जरिए यह पूछे जाने पर कि क्या सिक्का ने अपने खराब प्रदर्शन को छिपाने के लिए सभी आरोप नारायणमूर्ति पर लगाये हैं, पई ने पीटीआई भाषा से कहा, ‘हां, यह सही है. उन्होंने (सिक्का) ने खुद यह बात स्वीकार की है कि वह फरवरी से कंपनी छोड़ना चाहते थे. वह नारायणमूर्ति पर आरोप लगाकर लक्ष्य हासिल करने को लेकर अपनी खुद की विफलता को छिपा रहे हैं.’


सिक्का के इस्तीफे से इंफोसिस का संकट बढ़ गया है. कंपनी उपयुक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) की खोज समेत कई मुद्दों का सामना कर रही है.

नारायण मूर्ति से विवाद के चलते दिया था इस्तीफा

उल्लेखनीय है कि कंपनी के पूर्व प्रबंध निदेशक और सीईओ सिक्का ने नारायणमूर्ति के साथ महीनों से चल रही कटुता के बाद पिछले सप्ताह इस्तीफा दे दिया. उन्होंने इसके लिए दुर्भावनापूर्ण और व्यक्तिगत हमलों को जिम्मेदार ठहराया. हालांकि, उन्होंने इस्तीफे के लिए नारायणमूर्ति का नाम नहीं लिया.

दस अरब डालर की कंपनी के निदेशक मंडल ने सिक्का के अचानक इस्तीफे के लिए तथ्यात्मक रूप से गलत और खारिज की जा चुकी अफवाहों के साथ निरंतर हमले को लेकर उन्हें (नारायणमूर्ति) जिम्मेदार ठहराया.

एक सवाल के जवाब में पई ने कहा कि कार्यकारी उपाध्यक्ष के रूप में सिक्का की नियुक्ति करने से कंपनी संचालन का मुद्दा खड़ा हुआ है. उन्होंने कहा कि कंपनी में पहले से चेयरमैन (आर शेषासाई) और सह-अध्यक्ष (रवि वेंकटेशन) हैं, ऐसे में इससे भ्रम की स्थिति पैदा हुई है.

उन्होंने कहा, ‘कंपनी में चेयरमैन हैं, एक सह-अध्यक्ष, एक कार्यकारी सह-अध्यक्ष और कार्यकारी सीईओ है. इससे भ्रम की स्थिति पैदा हुई है.'

यह पूछे जाने पर कि क्या इंफोसिस बोर्ड के पास नारायणमूर्ति के कंपनी में फिर से प्रवेश पर रोक लगाने की शक्ति है, मोहनदास पई ने कहा कि दुनिया में कहीं भी ऐसा कोई निदेशक मंडल नहीं है, जिसने प्रवर्तक शेयरधारक के बारे में ऐसा बेतुका और निरर्थक आरोप लगाया हो.

उन्होंने कहा कि शेयरधारक निदेशकों के बारे में निर्णय करते हैं, हालांकि बोर्ड उनकी नियुक्ति करता है लेकिन वे अंतिम प्राधिकरण नहीं हैं.

यह पूछे जाने पर कि क्या सीईओ कंपनी के भीतर या बाहर से होना चाहिए, पई ने कहा, ‘जो व्यक्ति कंपनी की संस्कृति को महत्व देता हो और खुद को सुधारक बताने वाला दंभी नहीं हो...’