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फ्लिपकार्ट-अमेजन के संभावित विलय में आड़े आ सकते हैं प्रतिस्पर्धा संबंधी मुद्दे

एक तय सीमा से परे के सौदों को सीसीआई की मंजूरी की जरूरत होती है, नियामक को प्रतिस्पर्धारोधी आशंकाएं होती है, वह समस्या को दूर करने के लिए बचाव के कदम उठाता है

Bhasha

ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन और फ्लिपकार्ट के संभावित विलय को प्रतिस्पर्धा के मुद्दों पर कड़ी जांच का सामना करना पड़ सकता है. दोनों कंपनियों के विलय से बनने वाली इकाई का तेजी से बढ़ रहे घरेलू ई-कॉमर्स बाजार में एकाधिकार हो जाएगा.

हालांकि अभी किसी भी पक्ष ने संभावित विलय के बारे में कोई औपचारिक घोषणा नहीं की है, पर ऐसी खबरें हैं कि दोनों कंपनियों के बीच इस बारे में बातचीत चल रही है.


एक तय सीमा से परे के सौदों को भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) की मंजूरी की जरूरत होती है. नियामक को जिन सौदों में प्रतिस्पर्धारोधी आशंकाएं होती है, वह समस्या को दूर करने के लिए बचाव के कदम उठाता है.

परामर्श देने वाली कंपनी कॉरपोरेट प्रोफेशनल्स के संस्थापक पवन कुमार विजय ने कहा कि अमेजन और फ्लिपकार्ट के इस संभावित सौदे को सीसीआई की मंजूरी लेनी होगी. सीसीआई को बाजार का आकलन करना होगा और इस मामले में संयुक्त कंपनी की बाजार हिस्सेदारी करीब 80 प्रतिशत होगी जो सौदे के लिए रुकावट हो सकता है.

हालांकि ऐसे भी मामले रहे हैं जब नियामक ने बड़े सौदों को कुछ कड़े प्रावधानों के साथ मंजूरी दी है.

गैर-लाभकारी संगठन कंज्यूमर यूनिटी एंड ट्रस्ट सोसायटी (कट्स) इंटरनेशनल ने कहा कि दोनों कंपनियों के विलय का व्यापारियों पर नकारात्मक असर भी हो सकता है क्योंकि ई-कॉमर्स क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा के अभाव के कारण उनके पास मोल-जोल के सीमित मौके होंगे.