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अर्थव्यवस्था सुधारने के लिए लेंगे जरूरी फैसलें: जेटली

देश के आर्थिक विकास की रफ्तार तीन साल के निचले स्तर 5.7 प्रतिशत पर आ गई है

Bhasha

लगातार कमजोर हो रही अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना सरकार की पहली चुनौती हो गई है. जीडीपी तीन साल के सबसे निचले स्तर पर आ गया है. चालू खाता घाटा भी अपने चार साल के पीक पर है. नोटबंदी और जीएसटी के कारण देश की अर्थव्यवस्था को झटका लगा, जिससे उबरने के लिए सरकार को कुछ अहम कदम उठाने की जरूरत है.

इसी दिशा में कुछ अहम फैसले लेने के लिए पहले मंगलवार शाम प्रधानमंत्री ने फाइनेंस मिनिस्टर अरुण जेटली और अधिकारियों से मुलाकात थी. बुधवार को अरुण जेटली ने कहा, 'सरकार अर्थव्यवस्था की रफ्तार बढ़ाने के लिए कुछ अहम कदम उठा सकती  है.' उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री से बातचीत के बाद इस मामले में कोई ऐलान किया जाएगा.


अर्थव्यवस्था बेहाल

भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार फिस्कल ईयर 2018 में 5.7 फीसदी रही. यह तीन साल में सबसे कमजोर है. जेटली ने कहा, 'हमने अर्थव्यवस्था के सभी मौजूदा इंडिकेटर्स का जायजा लिया है. ग्रोथ को पटरी पर लाने के लिए सरकार हर आवश्यक कदम उठाएगी. मैं निश्चित रूप से पहले प्रधानमंत्री मोदी के साथ सलाह मशविरा करूंगा और जब हम तय कर लेंगे, आपको भी पता चल जाएगा.'

जेटली ने आगे कहा कि यह एक सक्रिय सरकार है. जब-जब जरूरत पड़ी है आवश्यक कदम उठाया है. उन्होंने कहा, 'हम सुधार के एजेंडे पर लगातार आगे बढ़ रहे हैं.'

मंगलवार को हुई थी मंत्रियों की बैठक

जेटली ने दो घंटे की समीक्षा बैठक की थी जिसमें वाणिज्य मंत्री सुरेश प्रभु, रेल मंत्री पीयूष गोयल और नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार भी शामिल थे. इनके अलावा प्रधानमंत्री के अतिरिक्त मुख्य सचिव पी के मिश्रा, वाणिज्य सचिव रीता तेवतिया, मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन और वित्त मंत्रालय के सचिवों ने भी बैठक में भाग लिया.

गौरतलब है कि दो साल पहले भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर चीन से आगे निकल गई थी और इसे कमज़ोर वैश्विक अर्थव्यवस्था का चमकदार सितारा कहा जाने लगा था.

लेकिन 2016 की शुरुआत से ही जीडीपी लगातार पांच तिमाही गिरकर अप्रैल-जून तिमाही में तीन साल के निचले स्तर 5.7 प्रतिशत पर आ गई. यह लगातार दूसरी तिमाही रही जब जीडीपी वृद्धि में भारत चीन से पिछड़ा है.