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डिजिटलीकरण, लोन डिमांड बढ़ाने का एजेंडा नहीं हो पाया पूरा: अरुंधति भट्टाचार्य

अरुंधति ने कहा 'हम डिजिटल मोर्चे पर कुछ देना चाहते थे जो कि वास्तव में अलग था और जुलाई में कुछ समय के लिए ऐसा हुआ भी.

Bhasha

भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन पद से सेवानिवृत हुईं अरुंधति भट्टाचार्य ने कहा कि वह दो प्रमुख एजेंडे- डिजिटलीकरण और लोन डिमांड में वृद्धि को पूरा नहीं कर पाईं. स्टेट बैंक के 214 साल के इतिहास में वह पहली महिला चेयरमैन रहीं. चार साल का कार्यकाल समाप्त होने के बाद शुक्रवार को वह सेवानिवृत्त हो गईं.

बैंक की चेयरमैन के तौर पर मीडिया से अंतिम बार मुखातिब होते हुए भट्टाचार्य ने कहा, 'एक जिंदगी में ऐसा कोई पद नहीं है, जहां पहुंचकर कोई यह कह सके कि अब एजेंडा खत्म हो गया है. दरअसल, होता यह है कि आप एक एजेंडे से शुरू करते हैं और जैसे-जैसे आप आगे बढ़ते हैं, नए एजेंडे उसमें जुड़ते चले जाते हैं.'


उन्होंने कहा 'हम डिजिटल मोर्चे पर कुछ देना चाहते थे जो कि वास्तव में अलग था और जुलाई में कुछ समय के लिए ऐसा हुआ भी. अब, इसमें थोड़ी देर हो गई है क्योंकि परियोजना का दायरा बढ़ गया है. जाहिर है कि यह अधूरा एजेंडा है, लेकिन यह मायने नहीं रखता क्योंकि हमने इस दिशा में काफी प्रगति की है.

अब पीएचडी करेंगी अरुंधति भट्टाचार्य

भट्टाचार्य ने आगे कहा कि महत्वपूर्ण और बड़े कदम उठाए जाने के बावजूद बैंक की ऋण मांग वृद्धि ज्यादा बेहतर नहीं हो सकी. उन्होंने कहा, 'हालांकि, हमने जोखिम की निगरानी, प्रक्रियाओं में सुधार और अनुवर्ती प्रक्रियाओं को सुधारने के लिये हर सभंव प्रयास किया. लेकिन हम ऋण वृद्धि को उस स्तर पर नहीं ला सके जहां हम चाहते थे. इसलिए यह भी एक अधूरा एजेंडा है.

उन्होंने आगे कहा कि बैंक ने अच्छा, बुरा और उदासीन सभी दौर देंखे. यह रोचक के साथ-साथ बहुत ही मुश्किल यात्रा रही, लेकिन मझे लगता है कि हम इस यात्रा में बेहतर ढंग से आगे बढ़े हैं. एसबीआई की पहली महिला चेयरपर्सन रही अरुंधति भट्टाचार्य स्टेट बैंक के साथ प्रोबोशनरी ऑफिसर के रूप में जुड़ने के बाद आज 40 साल, एक महीने और दो दिन बाद सेवानिवृत्त हो गईं. एसबीआई की उनकी यात्रा बैंक की मुख्य शाखा कलकत्ता से शुरू हुई और क्लाउड कम्प्यूटिंग के साथ खत्म हुई.

बैंक के हर विभाग में अपनी छाप छोड़ने के बाद अब वह बैंकिंग और वित्त में पीएचडी करने की योजना बना रही हैं.