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बजट ट्रिविया: कभी आपकी आमदनी पर लगता था 72.5% टैक्स

पढ़िए बजट से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें, जिनपर आपको भरोसा करना होगा मुश्किल

FP Staff

1957-58

के बजट में 'संपत्ति कर' के तौर पर एक नया डायरेक्ट टैक्स शुरू किया गया, जो छह दशक बाद भी इस्तेमाल हो रहा है.


1958-59

इस बजट में प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने पहली और आखिरी बार खुद बजट पेश किया था. बजट पेश करते हुए उन्होंने 'उपहार कर' लगाया था. यह पश्चिमी देशों में लोकप्रिय था.

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1959-60

इस बजट में देश की एकाउंटिंग में बदलाव हुआ. पहली बार बजट अनुमान पेश किया गया. साथ ही योजनागत और गैर योजनागत के दो सेक्शन शुरू किए गए.

1960-61

इस बजट में अमेरिकी शासन के साथ पीएल 480 यानी 'फूड फॉर पीस' का करार हुआ था. इसके तहत 1959 में भारत ने अमेरिका से अनाज आयात करने का करार किया था. उस वक्त इस योजना पर 122 करोड़ रुपए खर्च हुए थे. हालांकि यह करार विवादों में घिर गया था.

1961-62

इस बजट में सोवियत संघ सरकार की आर्थिक मदद से एक तेल रिफाइनरी स्थापित करने की घोषणा की थी.

1962-63

इस बजट में इनकम टैक्स में जबरदस्त इजाफा किया गया था. मोरारजी देसाई ने इनकम टैक्स की दर बढ़ाकर 72.5 फीसदी कर दिया था. इसमें कोई सरचार्ज शामिल नहीं था.

1963-64

इस बजट में एक नए 'सुपर प्रॉफिट टैक्स' का ऐलान किया गया, जिसकी उद्योग जगत ने काफी आलोचना की थी.

1964-65

इस बजट में एक्सपेंडिचर टैक्स लगाया गया था, जिसे दो साल बाद खत्म कर दिया गया. सालाना 36,000 रुपए से ज्यादा खर्च करने वाले लोगों को यह टैक्स चुकाना पड़ता था.

1965-66

इस बजट में पहली बार ब्लैकमनी और टैक्स चोरों से निपटने की स्कीम पेश की गई. इसके तहत लोग अपनी स्वेच्छा से आरबीआई में अपने काले धन का खुलासा कर सकते थे.

1966-67

इस बजट में एक्सपेंडिचर टैक्स खत्म कर दिया गया, जो दो साल पहले शुरू किया गया था. यह टैक्स लोगों के बेहिसाब संपत्ति रखने पर लगाया गया था.