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ऐम्बी वैली की नीलामी: पुणे पुलिस को पत्र लिखने पर सहारा समूह ने जताई आपत्ति

अदालत के आदेश पर इस संपत्ति की नीलामी की प्रक्रिया चल रही है

Bhasha

सुप्रीम कोर्ट  ने सहारा समूह द्वारा आंबे वैली में अपनी सपंत्ति के बारे में कानून व्यवस्था की स्थिति का मुद्दा उठाते हुए पुणे पुलिस को पत्र लिखने पर गुरुवार को कड़ी आपत्ति जताई है. अदालत के आदेश पर इस संपत्ति की नीलामी की प्रक्रिया चल रही है.

इस संबंध में सेबी के आरोपों का संज्ञान लेते हुए प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा , न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति ए के सिकरी की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने कहा कि सहारा समूह को इस मामले में पुणे के पुलिस अधीक्षक को इस तरह का पत्र नहीं लिखना चाहिए था क्योंकि नीलामी का आदेश शीर्ष अदालत ने दिया है.


पीठ ने महाराष्ट्र के पुलिस महानिदेशक को ये सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि ये संपत्ति 48 घंटे के भीतर बॉम्बे हाईकोर्ट  के आधिकारिक परिसमापक को सौंपी जाए.

पीठ ने कहा, ‘यदि नीलामी की प्रक्रिया में कोई भी किसी प्रकार की बाधा उत्पन्न करेगा तो वह अवमानना कार्यवाही का जिम्मेदार होगा और उसे जेल भेजा जाएगा.’ शीर्ष अदालत ने आधिकारिक परिसमापक को कंपनी वकील के सीधे देखरेख में नीलामी प्रक्रिया जारी रखने का निर्देश दिया.

पीठ ने क्या कहा?

पीठ ने कहा कि आधिकारिक परिसमापक इस मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट के पीठासीन जज ए एस ओका से मार्गदर्शन प्राप्त करेंगे.

इससे पहले, सेबी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अरविन्द दातार ने पुलिस अधीक्षक को भेजे गये पत्र का जिक्र किया और दावा किया कि इसकी वजह से पुलिस ने इस संपत्ति को अपने कब्जे में ले लिया है.

सहारा समूह की ओर से मुकुल रोहतगी ने इस तर्क का जवाब देते हुए कहा कि संपत्ति पुलिस को नहीं सौंपी गई है और कोर्ट को प्रभावित करने के लिए ही पूरी तरह से गलत बयान दिया जा रहा है. पीठ ने हालांकि स्पष्ट किया कि वह इस समय अवमानना कार्यवाही शुरू नहीं कर रही है.

शीर्ष अदालत सहारा समूह के खिलाफ अवमानना कार्यवाही के लिये सेबी के आवेदन पर सुनवाई कर रही थी. सेबी का आरोप है कि समूह आंबे वैली की नीलामी प्रक्रिया में बाधा डाल रहा है.