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कैश क्रंच: RBI को मार्च से ही नकदी संकट की जानकारी थी

डेढ़ महीना पहले से नकदी संकट की जानकारी होने के बावजूद आरबीआई ने कोई कदम क्यों नहीं उठाया

Yatish Yadav

कैश क्रंच से करीब डेढ़ महीना पहले आंध्र प्रदेश की सरकार ने रिजर्व बैंक, फाइनेंस मिनिस्टर और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को इसी तरह के किसी घटना का अंदेशा जताया था. सूत्रों का कहना है कि आंध्र प्रदेश के चीफ सेक्रेटरी दिनेश कुमार ने 9 मार्च 2018 का राज्य के कुछ इलाकों में कैश क्रंच होने की बात बताई थी. इसके बाद केंद्र ने आरबीआई को इस मामले में उपयुक्त कदम उठाने का निर्देश दिया.

इस मामले में जब चीफ सेक्रेटरी कुमार से संपर्क किया गया तो उन्होंने इस बात पर सहमति जताई कि आरबीआई, फाइनेंस मिनिस्टर और एसबीआई को लेटर लिखा गया था. फ़र्स्टपोस्ट से बातचीत में कुमार ने कहा, ‘हम कुछ ग्रामीण इलाकों में नकदी की कमी से जूझ रहे थे. लिहाजा मैंने यह दिक्कत खत्म करने के लिए लेटर लिखा.’ उन्होंने बताया कि करीब डेढ़ महीना पहले उन्होंने लेटर लिखा था.


फिर आरबीआई ने कोई कदम क्यों नहीं उठाया?

डेढ़ महीना पहले से नकदी संकट की जानकारी होने के बावजूद आरबीआई ने कोई कदम क्यों नहीं उठाया. सुनने में यह थोड़ा अजीब है लेकिन एटीएम के कैश क्रंच के बीच मुंबई के एक आरबीआई अधिकारी ने इस बारे में कुछ भी कहने से इनकार कर दिया. उस अधिकारी ने कहाकि सरकार पहले ही अपना बयान जारी कर चुकी है. और आरबीआई आंध्र प्रदेश के चीफ सेक्रेटरी के लेटर का जवाब देने की स्थिति में नहीं है.

हैदराबाद में आरबीआई के एक अन्य अधिकारी नाम जाहिर न होने की शर्त पर बताया कि सोमवार और मंगलवार को उन लोगों ने कई बार बैठक की. बैठक में यह पक्का करने की कोशिश की गई कि करेंसी चेस्ट नियमों के मुताबिक ही काम कर रहे हैं.

फ़र्स्टपोस्ट का मानना है कि तेलंगाना ने मार्च में ही यह चेतावनी दे दी थी कि कुछ इलाकों में कैश की दिक्कत है. पिछले हफ्ते की शुरुआत में झारखंड ने भी इसी तरह की सरकारी सूचना दी थी. लगातार कई बार कोशिश करने के बावजूद दोनों राज्यों के चीफ सेक्रेटरी ने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया. हालांकि पटना के आरबीआई ब्रांच के एक अधिकारी ने कहा कि पिछले महीने यह आश्वस्त करने के लिए एक लेटर जारी किया गया था कि एटीएम और सभी ब्रांच में पर्याप्त नकदी रहे.

नाम जाहिर न करने की शर्त पर इस अधिकारी ने बताया, 'हमें मार्च में यह शिकायत मिली थी कि बिहार-कटिहार और पूर्णिया के एटीएम में पैसा नहीं है. लिहाजा बैंकों को एक निर्देश जारी किया गया था जिसमें पर्याप्त नकदी उपलब्ध कराने  की बात कही गई थी.'

कहां गए 2000 रुपए के नोट?

ऐसे में सवाल यह है कि 2000 रुपए के नोट कहां जा रहे हैं. मध्य प्रदेश के चीफ मिनिस्टर शिवराज सिंह चौहान ने इसे साजिश करार दिया है. चौहान ने ऐसे संकेत दिए कि कुछ लोग बड़ी वैल्यू वाले नोटों की जमाखोरी कर रहे हैं.

2000 के नोटों की जमाखोरी क्यों हो रही है? राजस्थान एंटी-टेरर स्कवैड (ATS) ने एक हवाला मामले का खुलासा किया था. इस जांच टीम के सीनियर अधिकारी ने कहा कि 2000 रुपए का नोट सिस्टम से गायब होने के पीछे इलीगल नेटवर्क है. कुछ हद तक यह आरबीआई के लेवल तक भी है. करीब दो महीने तक चली जांच के बाद राजस्थान एटीएस को अहमदाबाद से दिल्ली ले जाते हुए 4 करोड़ रुपए पकड़े गए थे. अधिकारी ने बताय कि इसमें से 3 करोड़ रुपए 2000 रुपए के नोट में थे. उन्होंने कहा कि भीलवाड़ा इसका सेंटर था और दिल्ली, राजस्थान, गुजरात और मध्यप्रदेश में यह रैकेट चल रहा था.