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मोदी राज में विकास की स्थिति जाननी है तो IMF की रिपोर्ट पढ़िए- अरुण जेटली

वित्त मंत्री ने ट्विटर और फेसबुक दोनों पर जनवरी-फरवरी 2014 और जुलाई-अगस्त 2018 के बीच की अर्थव्यवस्था का अंतर बताने वाली आईएमएफ की रिपोर्ट का सारांश बताया

FP Staff

केंद्रीय वित्त मंत्री और कॉर्पोरेट मामलों के मंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के कुछ दिनों बाद भाजपा के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली ने पूर्व यूपीए सरकार का मजाक उड़ाते हुए कहा कि 2014 में एनडीए के सत्ता में आने के बाद से अर्थव्यवस्था में बदलाव आया है.

इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (आईएमएफ) द्वारा जारी की गई हालिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए जेटली ने कहा कि 2014 और 2018 में जारी आंकड़ों की तुलना करने पर साबित होता है कि उच्च मुद्रास्फीति, राजकोषीय घाटा और चालू खाता घाटा, एक स्थिर बुनियादी ढांचा, बिजली क्षेत्र और आवंटन के अलावा प्राकृतिक संसाधनों की पिछली सरकार की कुछ विफलताओं में से एक थे.


वित्त मंत्री ने ट्विटर और फेसबुक दोनों पर जनवरी-फरवरी 2014 और जुलाई-अगस्त 2018 के बीच की अर्थव्यवस्था का अंतर बताने वाली आईएमएफ की रिपोर्ट का सारांश बताया. जेटली ने लिखा- 'हमने एक लंबा सफर तय किया है. पिछले चार सालों में सरकार द्वारा किए गए विधायी और दूसरे सुधारों की एक श्रृंखला देखी गई है. पूरी प्रणाली को साफ कर दिया गया है और अधिक पारदर्शी बनाया गया है.'

उन्होंने लिखा 'पिछले 4 सालों में, हमारी दृढ़ता ने निर्णय लेना आसान कर दिया है और अर्थव्यवस्था को कई अन्य देशों में खड़ा कर दिया है. मैं सभी को आईएमएफ की रिपोर्ट पढ़ने के लिए आग्रह करता हूं. इसकी कॉपी सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है. इसे पढ़ने के बाद कोई भी व्यक्ति जो मैंने कहा है उसके साथ सहमत होगा.'

उन्होंने 2014 के बारे में रिपोर्ट का हवाला देते हुए लिखा- 'इस वित्त वर्ष में वृद्धि 4.6 प्रतिशत तक धीमी होने की उम्मीद है, जो एक दशक में निम्नतम स्तर है. वहीं सीपीआई मुद्रास्फीति दो अंकों के करीब रहने की उम्मीद है. चालू खाता घाटा कम हो रहा है. निर्यात में महत्वपूर्ण सुधार हो रहा है. सोने के आयात में तेजी से कमी हो रही है. फिर भी, भारत में लगातार उच्च मुद्रास्फीति और बड़े पैमाने पर राजकोषीय और बाहरी असंतुलन से बाधित नीतियों को अपनाने के लिए बहुत ही कम जगह है.'

दूसरी ओर, 2018 में, उन्होंने कहा, रिपोर्ट में कहा गया है कि 'स्थिरता उन्मुख व्यापक आर्थिक नीतियां और संरचनात्मक सुधारों में प्रगति हो रही है. नवंबर 2016 से जुड़ी मुद्रा विनिमय पहल और जुलाई 2017 के सामान और सेवा कर (जीएसटी) आने से संबंधित बाधाओं के बाद, वित्त वर्ष 2017/18 में वृद्धि 6.7 प्रतिशत तक धीमी हुई. लेकिन हम रिकवर कर लेंगे.'