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किसानों को दी जाने वाली 6000 रुपए की रकम को बढ़ा सकती है बीजेपी: अरुण जेटली

वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने 2019-20 के बजट में किसानों को सालाना 6,000 रुपए की न्यूनतम सहायता देने की घोषणा की है

FP Staff

बजट में किसानों को न्यूनतम राशि देने की घोषणा करने के बाद केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि 6,000 रुपए की इस राशि को भविष्य में बढ़ाया जा सकता है. किसानों के हित में बात करते हुए जेटली ने कहा, सरकार के संसाधन बढ़ने के साथ इस राशि को भी बढ़ाया जा सकता है. 75,000 करोड़ रुपए सालाना से शुरुआत हुई है.

वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने 2019-20 के बजट में किसानों को सालाना 6,000 रुपए की न्यूनतम सहायता देने की घोषणा की है. किसानों को यह राशि तीन किस्तों में दी जाएगी. इस लिहाज से यह 500 रुपए मासिक बैठती है. उन्होंने कहा कि राज्य इस राशि के ऊपर अपनी ओर से आय समर्थन योजनाओं की घोषणा कर सकते हैं. उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा इस योजना की आलोचना के लिए उन पर हमला बोला.


राहुल गांधी ने कही थी ये बात

न्यूज़ 18 के अनुसार गांधी ने कहा है कि सरकार किसानों को प्रतिदिन 17 रुपए देकर उनका अपमान कर रही है. जेटली ने कहा कि विपक्ष के नेता को 'परिपक्व होना चाहिए' और उन्हें यह समझना चाहिए कि वह किसी कॉलेज यूनियन का चुनाव नहीं राष्ट्रीय चुनाव लड़ने जा रहे हैं.

भविष्य में बढ़ाएंगे राशि

जेटली ने कहा कि 12 करोड़ छोटे और सीमांत किसानों को हर साल 6,000 रुपए दिए जाएंगे. इसके अलावा सरकार की योजना उन्हें घर देने, सब्सिडी पर खाद्यान्न देने, मुफ्त चिकित्सा सुविधा देने, मुफ्त साफ-सफाई की सुविधा देने, बिजली, सड़क, गैस कनेक्शन देने की योजना और दोगुना कर्ज सस्ती दर पर देने जैसी सभी योजनाएं किसानों की दिक्कतों को दूर करने से जुड़ी हैं.

उन्होंने कहा कि किसानों को न्यूनतम आय समर्थन देने का यह पहला साल है. 'मुझे भरोसा है कि सरकार के संसाधन बढ़ने के साथ इस राशि को भी बढ़ाया जा सकता है. जेटली ने कहा कि मौजूदा सरकार ने ग्रामीण इलाकों में जो लाखों करोड़ रुपए लगाए हैं यह राशि उसके अतिरिक्त है.

राज्य सरकार भी करें किसानों की मदद

जेटली ने कहा कि यदि राज्य भी इसमें कुछ जोड़ते हैं तो यह राशि और बढ़ेगी. कुछ राज्यों ने इस बारे में योजना शुरू की है. मुझे लगता है कि और राज्य भी उनके रास्ते पर चलेंगे. उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र की दिक्कतें दूर करने की जिम्मेदारी राज्यों की भी बनती है. कुछ राज्य सरकारों ने इसे शुरू किया है. मैं नकारात्मक सोच रखने वाले नवाबों से कहूंगा कि वे अपनी राज्य सरकारों से कहें कि इस समर्थन के ऊपर वे सरकारें भी कुछ मदद दें.