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चीन की कारोबारी कूटनीति के आगे पस्त हैं एपल के सीईओ टिम कुक

चीन जैसे बड़े बाजार की अनदेखी एपल के लिए असंभव है

Nimish Sawant

एपल के सीईओ टिम कुक ने चीन में वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (वीपीएन) ऐप को ऐप स्टोर से हटाने के कंपनी के फैसले का बचाव किया है. चीन सरकार ने वीपीएन ऐप के लिए लाइसेंस अनिवार्य कर दिया है. जरा फेसबुक, ट्विटर, गूगल एप जैसी सेवाओं या साइट्स के बारे में सोचिए जो चीन में प्रतिबंधित हैं. इस टूल का उपयोग नागरिकों के साथ मानवाधिकार कार्यकर्ता भी करते हैं.

अपने बयान में कुक ने कहा कि 'हमें कुछ ऐसे वीपीएन ऐप को ऐप स्टोर से हटाना था, जो नए नियमों के मुताबिक नहीं थे. आज भी ऐप स्टोर में सैकड़ों वीपीएन ऐप हैं. इनमें सैकड़ों ऐसे हैं जो चीन से बाहर बने हैं. हम ऐप नहीं हटाते, लेकिन हम दूसरे देशों की तरह, जहां कारोबार करते हैं वहां के कानूनों का पालन करते हैं. हमारा भरोसा बाजार हिस्सेदारी में हैं. हमारा मकसद चीन समेत दूसरे देशों के नागरिकों को फायदा पहुंचाना और उनके हित में काम करना है.'


हालांकि वीपीएन ऐप निर्माता इस फैसले से खुश नहीं हैं लेकिन एपल के हित में ये है कि वो चीन सरकार की बात माने.

चीन में गिर रहा एपल का राजस्व

एपल के लिए चीन बड़ा बाजार है. वहां लोगों के पास खर्च करने की अपार क्षमता है. एपल के उत्पाद वहां लोकप्रिय हैं. लोग एपल की तकनीक से तुरंत तालमेल बिठा लेते हैं. इसके बावजूद ताजा तिमाही में एपल के राजस्व में साल-दर-साल के आधार पर 10 फीसदी की गिरावट आई है.

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पिछली पांच तिमाही से राजस्व में लगातार कमी आ रही है. लेकिन एपल की सेवाओं में सुधार दिख रहा है. इसे बनाए रखने के लिए एपल को चीन की टेक्नोलॉजी रेगुलेटर से मंजूरी लेनी होगी.

काउंटरप्वाइंट रिसर्च एनालिस्ट के मुताबिक जनवरी से जून के बीच चीन में आईफोन की हिस्सेदारी में नौ फीसदी की गिरावट आई है. इसके मुकाबले साल 2015 मे ये 14 फीसदी के शीर्ष स्तर पर था. चीन के घरेलू ब्रांड जैसे हुवाई, ओप्पो, विवो और शियोमी ने एपल आईफोन की बिक्री को पांचवें स्थान पर धकेल दिया है.

गूगल का भविष्य

चीन स्थानीय सॉफ्टेवयर ऐप और सेवाओं में खासा मजबूत है. चीन की नीतियां अमेरिका की कई टेक्नोलॉजी कंपनियों जैसे गूगल को सीधा प्रवेश देने से रोकती हैं. इनके जैसे कई क्लोन फिलहाल चीन में काम कर रहे हैं. इसकी बड़ी वजह ऐप और सेवाओं को लेकर चीन की नीतियां हैं. साल 2006 से गूगल चीन में आसानी से काम कर रहा था लेकिन 2015 में उसके रास्ते में कई बाधाएं आ गईं.

दरअसल गूगल को चीन से हुए एक साइबर अटैक का पता चला. इससे गूगल समेत कई कंपनियों को निशाना बनाया गया था. इसके बाद गूगल ने चीन मे कारोबार बंद करने का फैसला किया. गूगल को ये भी पता चला कि कई मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के जीमैल अकाउंट से समझौता किया गया था.

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कंपनी ने अपना सर्च ऑपरेशन हांगकांग स्थानांतरित करने का फैसला किया. गूगल के इस फैसले की दुनियाभर में तारीफ हुई. इसके तुरंत बाद चीन में गूगल की सेवाएं बंद कर दी गईं. चीन के बड़े बाजार और उसकी क्षमता को देखते हुए गूगल वहां कमबैक करने की कोशिश में है. गूगल वहां लोगों को नौकरियां दे रहा है. वो ऐसा ऐप स्टोर शुरू करने के लिए काम कर रहा है, जिसमें सिर्फ सरकार की अनुमति वाले ऐप होंगे.

ये तय है कि एपल ऐसा कुछ नहीं करेगा जो स्थानीय कानूनों के खिलाफ जाता हो, नहीं तो उसकी सेवाओं को भी चीन में अनुमति नहीं मिलेगी. चीन जैसे बड़े बाजार की अनदेखी एपल के लिए असंभव है. एपल के लिए ऐप स्टोर कमाई का बड़ा जरिया है, जबकि एपल के प्ले स्टोर को चीन में अब तक आधिकारिक अनुमति नहीं मिली है, ऐसे में एपल अपनी वो बढ़त खोने के मूड में कतई नहीं है.