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PM मोदी और उर्जित पटेल की मुलाकात में इस तरह सुलझी सरकार और RBI के बीच उलझी बात

सूत्रों ने बताया कि दोनों एक फॉर्मूले पर सहमत हुए हैं. इसके तहत आरबीआई से पैसे मांगने को लेकर केंद्र नरमी बरतेगा और दूसरी तरफ बैंक सरकार को कर्ज देने में थोड़ी ढिलाई बरतेगा

FP Staff

केंद्र सरकार से जुड़े करीबी सूत्रों की मानें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और  आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल ने केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक के बीच जारी गतिरोध को सुलझाने की दिशा में प्रयास करने शुरू कर दिए हैं. इसी सिलसिले  में दोनों के बीच बीते शुक्रवार को मुलाकात हुई थी. सूत्रों की मानें तो दोनों के बीच विवाद सुलझाने को लेकर एक फॉर्मूला भी तय हुआ है.

सूत्रों ने सीएनबीसी-टीवी 18 को बताया कि दोनों एक फॉर्मूले पर सहमत हुए हैं. इसके तहत आरबीआई से पैसे मांगने को लेकर केंद्र नरमी बरतेगा और दूसरी तरफ बैंक सरकार को कर्ज देने में थोड़ी ढिलाई बरतेगा.


समझा जा रहा है कि इस फॉर्मूले के तहत आरबीआई कुछ बैंको को अपने प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन (पीसीए) फ्रेमवर्क से बाहर करेगा जिससे वो बैंक अधिक लोन दे सकेंगे.

लो कैपिटल बेस और बैड लोन समस्याओं के चलते रिजर्व बैंक ने बैंकों के लोन देने पर नियंत्रण लगाया था. 11 बैंकों पर तब तक लोन देने पर प्रतिबंध लगाया गया था जब तक वो अपने बैड लोन को कंट्रोल नहीं करते, अपने कैपिटल रेश्यो नहीं बढ़ाते और फायदेमंद साबित नहीं होते.

भारतीय रिजर्व बैंक

सरकार ने इस पर दलील दी कि यह प्रतिबंध काफी कड़ा है और इसके चलते छोटे और मझोले कारोबारियों को लोन नहीं मिल रहा है. सूत्रों के मुताबिक, सरकार और आरबीआई इस बात पर सहमत हुए हैं कि कुछ बैंको को पीसीए राडार से बाहर किया जाएगा. साथ ही यह भी सुनिश्चित करने पर सहमति बनी कि आरबीआई के इस कदम से छोटे और मझोले कारोबारियों को कोई परेशानी न हो.

केंद्र सरकार-RBI के बीच विवाद की क्या है वजह?

वित्त मंत्रालय ने केंद्रीय बैंक के खिलाफ सेक्शन 7 के इस्तेमाल की बात कही थी इसे लेकर केंद्र और आरबीआई के बीच पिछले दिनों विवाद बढ़ गया था. क्योंकि यदि ऐसा हुआ तो यह रिजर्व बैंक के इतिहास में पहली बार होगा.

सूत्रों ने बताया कि सरकार ने रिजर्व बैंक कानून की धारा 7 के तहत विभिन्न मुद्दों को लेकर कम से कम 3 पत्र भेजे हैं. आरबीआई कानून की धारा 7 केंद्र सरकार को सार्वजनिक हित के मुद्दों पर केंद्रीय बैंक के गवर्नर को सीधे निर्देश जारी करने का अधिकार देती है. केंद्र और रिजर्व बैंक के बीच कुछ मुद्दों को लेकर मतभेद उभरे हैं. सार्वजनिक क्षेत्र के कमजोर बैंकों के कामकाज में सुधार के उपायों, प्रणाली में नकदी की तंगी और बिजली क्षेत्र में फंसे कर्ज की समस्या से निपटने से जुड़े मुद्दे हैं जिनपर मतभेद कुछ ज्यादा है.