view all

बहुत जल्द बिकने वाला है एयर इंडिया, उलटी गिनती शुरू

जयंत सिन्हा ने बताया, 'जैसा कि हम पहले से कहते आ रहे हैं, अगले 6 से 8 महीनों में बोली की घोषणा हो जाएगी. उसके बाद कानूनी प्रक्रिया पूरी करने में कुछ महीने का वक्त लगेगा'

FP Staff

एयर इंडिया को बेचने की उलटी गिनती शुरू हो गई है. नागरिक उड्डयन राज्यमंत्री जयंत सिन्हा ने इसका टाइमलाइन भी तय कर दिया है.

मनीकंट्रोल को जयंत सिन्हा ने बताया, 'जैसा कि हम पहले से कहते आ रहे हैं, अगले 6 से 8 महीनों में बोली की घोषणा हो जाएगी. उसके बाद कानूनी प्रक्रिया पूरी करने और कंपनी की संपत्ति ट्रांसफर करने में कुछ महीने का वक्त लगेगा'.


राज्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि इंटरग्लोब एविएशन ही अकेली कंपनी है जिसने एयर इंडिया को खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है. बता दें कि इंटरग्लोब एविएशन इंडिगो एयरलाइंस का संचालन करती है.

एयर इंडिया अपने जबरदस्त घाटे के लिए जानी जाती है. 2015-16 में इस सरकारी कंपनी को 4,310 करोड़ का घाटा हुआ जबकि पिछले वित्त वर्ष यह घाटा बढ़कर 6,280 करोड़ हो गया. पूरी तरह सरकारी कमान में चलने वाली इस कंपनी को अबतक 52,000 करोड़ का घाटा हुआ है.

नई कंपनी के पास होगा संचालन जिम्मा

दूसरी ओर, उड्ड्यन मंत्रालय के कुछ अधिकारियों का मानना है कि सरकार एयर इंडिया का पूरी तरह से निजीकरण करने नहीं जा रही. केंद्र सरकार इसमें 26 प्रतिशत तक अपना हिस्सा रख सकती है. जबकि नीति आयोग ने पूरी कंपनी बेचने की सिफारिश की है. हालांकि कंपनी का कितना हिस्सा बिकेगा, इस पर मंत्रियों का एक समूह विचार करेगा.

अधिकारी ने बताया, कंपनी के शेयर की जहां तक बात है तो संभव है सरकार कुछ हिस्सा अपने पास रखे, लेकिन एयरलाइन के संचालन का जिम्मा पूरी तरह नई कंपनी के हाथों में जाएगा.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को एयर इंडिया में 49 प्रतिशत विदेशी निवेश का ऐलान किया. इससे साफ है कि कोई विदेशी कंपनी एयर इंडिया में 49 फीसद से ज्यादा शेयर नहीं खरीद सकती.

सिन्हा ने विनिवेश का हिसाब समझाते हुए कहा, 'मान लीजिए सरकार ने एयर इंडिया का 60 फीसद हिस्सा बेच दिया. इसका मतलब है 60 प्रतिशत शेयर प्राइवेट कंपनी के हाथ में और 40 प्रतिशत सरकार के पास रहेगा. जब सरकार ने साफ कर दिया है कि एयर इंडिया में 49 प्रतिशत से ज्यादा एफडीआई नहीं कर सकते तो इससे अर्थ है 60 प्रतिशत का 49 प्रतिशत हिस्सा विदेशी कंपनी को जाएगा और बाकी 11 प्रतिशत भारतीय कंपनी के पास रहेगा. इससे भारत के पास 51 प्रतिशत हिस्सा बचा रह जाएगा.'