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आपका पैसा (पार्ट 2): यहां निवेश करके बचा सकते हैं टैक्स

टैक्स छूट के लिए 80C में निवेश के इतने ऑप्शन हैं, क्या आप जानते हैं

Pratima Sharma

इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते हुए आयकर की धारा 80C के तहत अगर आप निवेश करते हैं तो आपको टैक्स छूट का फायदा मिल सकता है. इस कैटेगरी में अधिकतम 1.5 लाख रुपए तक निवेश किया जा सकता है. ‘आपका पैसा’ सीरीज की दूसरी कड़ी में हम आपको बता रहे हैं कि 80C के तहत आप कहां कहां निवेश करके टैक्स छूट हासिल कर सकते हैं.

ईएलएसएस


ईक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम यानी ईएलएसएस टैक्स सेविंग्स वाले म्यूचुअल फंड हैं. 80C के तहत कर छूट के लिए इसमें 1.5 लाख रुपए तक निवेश किया जा सकता है. इसकी एक अच्छी बात यह है कि इसमें सिर्फ तीन साल का लॉक इन पीरियड होता है. यानी तीन साल के बाद आपको जो रकम मिलेगी, उसपर आपको कोई टैक्स नहीं चुकाना होगा. ईएलएसएस शेयर बाजार से जुड़ा है, लिहाजा 12 से 15 फीसदी रिटर्न मिल जाता है. ईएलएसएस में निवेश की गई रकम का 65 फीसदी फंड शेयर बाजार में जाता है.

पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ)

80C के तहत पीपीएफ एकाउंट में पैसा जमा करवाने पर भी आपको टैक्स छूट का फायदा मिलेगा. आयकर की धारा 80C के तहत एक फाइनेंशियल ईयर में अधिकतम निवेश की सीमा 1.5 लाख रुपए है, लिहाजा पीपीएफ एकाउंट में भी अधिकतम निवेश की सीमा यही है. पीपीएफ में एक तय रिटर्न मिलता है. पीपीएफ एकाउंट में जमा रकम पर आपको कितना ब्याज मिलेगा, यह हर साल फाइनेंस मिनिस्ट्री तय करती है. फिस्कल ईयर 2016-17 के लिए पीपीएफ की ब्याज दर 8.1 फीसदी है. इसमें ब्याज का हिसाब-किताब सालाना चक्रवृद्धी ब्याज से लगाया जाता है.

पीपीएफ में निवेश का लॉक इन 15 साल के लिए है. यानी 15 साल से पहले आप यह पैसा नहीं निकाल सकते हैं, लेकिन पैसों की जरूरत होने पर पीपीएफ एकाउंट पर लोन जरूर ले सकते हैं. 15 साल के बाद पीपीएफ से निकाली गई रकम टैक्स फ्री होगी.

एंप्लॉयी प्रोविडेंट फंड (ईपीएफ)

ईपीएफ में जमा की गई रकम पर भी 80C के तहत कर छूट मिलता है. इसमें भी अधिकतम 1.5 लाख रुपए ही जमा कर सकते हैं. आपकी बेसिक सैलरी का 12 फीसदी पीएफ में जाता है.

टैक्स सेविंग एफडी

ये किसी सामान्य एफडी की तरह ही होते हैं. बस टैक्स सेविंग एफडी में 5 साल का लॉकइन होता है. 80C के तहत इसमें भी अधिकतम 1.5 लाख रुपए का ही निवेश किया जा सकता है. अलग-अलग बैंक एफडी पर अलग-अलग ब्याज देते हैं, जो 7 से 9 फीसदी के बीच होता है. इसमें रिटर्न पहले से तय होती है. इसमें एक दिक्कत यह है कि 5 साल के बाद ब्याज सहित पूरी रकम आपके हाथ में आती है तो ब्याज को टैक्सेबल इनकम माना जाएगा. यानी ब्याज पर आपको टैक्स चुकाना होगा.

नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस)

यह एक पेंशन स्कीम है, जो भारत सरकार ने शुरू की थी. असंगठित क्षेत्रों में काम करने वाले लोगों की रिटायरमेंट सुरक्षित करने के लिए इसे शुरू किया गया था. 80C के तहत 1.5 लाख रुपए तक के निवेश पर आप कर छूट ले सकते हैं. इसके अलावा आयकर की धारा 80CCD(1B) के तहत अतिरिक्त 50,000 रुपए टैक्स छूट का फायदा ले सकते हैं.

एनपीएस अपना फंड शेयर बाजार में भी निवेश करता है. आप अपनी जोखिम सहने की क्षमता के अधार पर यह तय कर सकते हैं कि आप जो पैसा एनपीएस में लगा रहे हैं उसका कितना हिस्सा शेयरों में निवेश होगा. ज्यादा से ज्यादा आपके निवेश का 50 फीसदी रकम शेयर बाजार में लग सकता है.

एनपीएस में निवेश का सबसे बड़ा नुकसान यह है कि मैच्योरिटी के बाद आपकी जेब में जो पैसा आएगा उस पूरी रकम पर आपको टैक्स चुकाना होगा. साथ ही इसमें रिटर्न कितना मिलेगा यह भी तय नहीं होता.

नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट्स (एनएससी)

जिस साल आप एनएससी खरीदते हैं उस फाइनेंशियल ईयर में आप टैक्स क्लेम कर सकते हैं. 80C के तहत इसमें भी अधिकतम 1.5 लाख रुपए का निवेश कर सकते हैं. पोस्टऑफिस से आप एनएससी खरीद सकते हैं. इसमें 5 साल का लॉकइन होता है. इस पर चक्रवृद्धि ब्याज मिलता है लेकिन यह टैक्सेबल होता है. फिस्कल ईयर 2016-17 के लिए एनएससी का ब्याज 8.1 फीसदी है.

यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान (यूलिप)

यूलिप इनवेस्टमेंट और इंश्योरेंस का मिक्स है. यानी एक पंथ दो काज लेकिन यह अपना काम ठीक से नहीं कर पाया. लिहाजा अब निवेशकों ने इससे दूरी बनाना शुरू कर दिया है. यूलिप का एक हिस्सा आपके इंश्योरेंस के प्रीमियम के तौर पर होता है और बाकी रकम शेयर बाजार में निवेश किया जाता है. इसमें रिटर्न कितना मिलेगा यह तय नहीं होता. साथ ही इसमें यह भी पता नहीं चलता कि आपका पैसा शेयर बाजार के किस सेक्टर में लगाया जा रहा है. आपके निवेश का कितना पैसा कमीशन और दूसरे खर्चों पर जा रहा है, यह भी पता नहीं चलता.

सुकन्या समृद्धि योजना

निवेश की यह सुविधा सिर्फ उन लोगों को ही है, जिनकी बेटियां हैं. अधिकतम निवेश की सीमा 1.5 लाख रुपए ही है. फिस्कल ईयर 2016-17 में सुकन्या समृद्धि योजना के लिए 8.6 फीसदी ब्याज तय किया गया है. इसमें सालाना चक्रवृद्धि ब्याज जोड़ा जाता है. इसकी अच्छी बात यह है कि निवेश और रिटर्न पूरी तरह टैक्स फ्री है. सुकन्या समृद्धि योजना का खाता 21 साल में मेच्योर होता है. बेटी के 18 साल के होने पर तब तक की जमा रकम का 50 फीसदी रकम जरूरत पड़ने पर मेच्योरिटी से पहले निकाली जा सकती है.

सीनियर सिटिजंस सेविंग्स स्कीम (एससीएसएस)

यह स्कीम 60 साल से ज्यादा उम्र वाले बुजुर्गों के लिए है. 55 साल से उम्रदराज किसी बुजुर्ग ने अगर रिटायरमेंट ले ली हो तो वह भी इसमें निवेश कर सकता है. इसमें 5 साल का लॉकइन पीरियड होता है. इसमें सालाना रिटर्न 8.6 फीसदी है. 80C के तहत अधिकतम 1.5 लाख रुपए तक इसमें निवेश कर सकते हैं.

(पर्सनल फाइनेंस से जुड़ी अगर आपकी भी कोई उलझन है तो आप अपने सवाल Pratima.Sharma@nw18.com पर भेज सकते हैं)