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आपका पैसा: रिटर्न फाइल करने से पहले जानें ये बदलाव

इनकम टैक्स के इन नियमों में बदलाव के बारे में क्या आप जानते हैं

Pratima Sharma

क्या आप रिटर्न फाइल करने की तैयारी में हैं? असेसमेंट ईयर 2017-18 के लिए इनकम टैक्स के कुछ नियमों में बदलाव किए गए हैं. 'आपका पैसा' सिरीज में हम आपको उन्हीं बदलावों के बारे में बता रहे हैं.

जुलाई से टैक्स रिटर्न करने के लिए आधार या आधार एप्लिकेशन की एनरॉलमेंट आईडी देना जरूरी है. हालांकि एक राहत यह है कि 1 जुलाई तक अगर आपने पैन कार्ड को आधार से लिंक नहीं किया है तो भी आपका पैन इनवैलिड नहीं माना जाएगा.


अभी तक 5 लाख तक की कमाई पर आईटीआर फाइल करने में काफी दिक्कतें आती थीं. अगर आपकी यह कमाई बिजनेस से नहीं हुई है तो आपको राहत मिल सकती है. आईटी डिपार्टमेंट ने आसान सा एक पेज का आईटीआर फॉर्म जारी किया, जिससे आसानी से आईटीआर फाइल किया जा सकता है.

अगर आपको सैलरी से 50 लाख रुपए तक की आमदनी होती है, एक हाउस प्रॉपर्टी है और बैंक डिपॉजिट है तो आप आईटीआर 1 भर सकते हैं. अगर आपको या एचयूएफ (हिंदू यूनाइटेड फैमिली) को रियल एस्टेट, शेयर, म्यूचुअल फंड, गोल्ड बेचकर या ईपीएफ/पीपीएफ से पैसा निकालने पर आईटीआर 2 भरना होगा.

आईटीआर फॉर्म की संख्या 9 से घटाकर 7 कर दी गई है. पुराने आईटीआर 2, आईटीआर-2ए और आईटीआर-3 की जगह अब एक ही फॉर्म आईटीआर-2 आ गया है. आईटीआर-4 अब आईटीआर-3 है. इसी तरह बाकी के नंबर तय किए गए हैं.

दो नए सेक्शन शुरू किए गए हैं. इनमें सेक्शन 10(38) में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स पर छूट का जिक्र किया गया है. वहीं, सेक्शन 10(34) में भारतीय कंपनियों से मिलने वाले डिविडेंड घोषित करने से छूट की चर्चा है.

नए फॉर्म में अगर आप टैक्स छूट का फायदा उठाना चाहते हैं तो खास सेक्शन देखना होगा. क्योंकि अब सिर्फ 80C, 80D, 80G & 80TTA है, बाकी सारी चीजों को एक ही विंडो में डाल दिया गया है.

सरकार ने अायकरदाताओं को परेशानी से बचाने के लिए जांच का समय भी घटा दिया है.

अगर कोई करदाता जांच के घेरे में है तो भी वह रिटर्न फाइल करके रिफंड अगर बनता है तो क्लेम कर सकता है

करदाता की जांच पूरा करने के लिए मौजूदा 21 महीनों की अवधि को चरणबद्ध तरीके से घटाकर 12 महीने करना

2016 के बजट में सरकार ने जांच की अवधि 24 महीने से घटाकर 21 महीना कर दिया था. 2017 के बजट में इसे घटाकर 18 महीना कर दिया गया है. वहीं एनुअल ईयर 2019-20 के लिए यह घटकर 12 महीने हो जाएगा. यानी आयकर अधिकारी के पास जांच के लिए कम वक्त होगा. लिहाजा वह बेवजह करदाता को सालों तक परेशान नहीं कर सकता है.