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जन्माष्टमी पर वृंदावन की विधवाओं को यूपी सरकार देगी 'नया घर'

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल वृंदावन में रहने वाली विधवाओं की दुर्दशा पर संज्ञान लेते हुए केंद्र और यूपी सरकार को वृंदावन की विधवाओं के पुनर्वास के लिए सभी कदम उठाने का आदेश दिया था

Bhasha

दुनिया में अकेले छोड़ दिए जाने के बाद भी भगवान कृष्ण ने वृंदावन की विधवाओं को जीवन जीने का एक लक्ष्य दिया है. ऐसे आशा भरे शब्द किसी नवयौवना के नहीं बल्कि वृंदावन में विधवा का जीवन गुजार रहीं 88 वर्षीय गायत्री देवी का है, जिनके लिए यह जन्माष्टमी त्यौहार ‘घर’ लेकर आया है.

मूल रूप से ओडिशा में बिरसा की रहने वाली गायत्री के पति के निधन के बाद 17 साल पहले बच्चों ने उन्हें घर से बेघर कर दिया.


यहां बांके बिहारी मंदिर के पास कुछ सालों तक भीख मांगने और अगरबत्ती बेचने के बाद आखिरकार उन्हें ‘कृष्णा कुटीर’ के रूप में अब अपना घर मिल गया है. विधवाओं के लिए 1,000 बिस्तरों की सुविधा वाले इस कुटीर का  उद्धघाटन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने शुक्रवार को किया.

यूपी सरकार ने उठाए विधवाओं के पुनर्वास के लिए कदम

गायत्री देवी ने कहा, 'जब मेरे पति का निधन हो गया, तब परिवार वालों ने मुझे छोड़ दिया, ऐसे में भगवान कृष्ण ने ही मुझे उस बुरे समय में रास्ता दिखाने का काम किया.'

उन्होंने कहा, 'वृन्दावन के अलावा कोई और जगह नहीं था जहां जाने के बारे में मैं सोच सकती थी. पति से मिले पहले उपहार, चांदी की अंगूठी बेचकर मैं ट्रेन से वृंदावन आ गई.'

माना जाता है कि भगवान कृष्ण ने वृन्दावन में अपना बचपन व्यतीत किया था. यहां रहने वाली करीब 3,000 विधवाओं में से गायत्री भी एक हैं. इनमें से अधिकांश लोग पूरे शहर में स्थित आश्रमों में रहते हैं और जीवन जीने के लिए मंदिरों के बाहर भिक्षाटन करते हैं.

स्वाधार गृह’ योजना के तहत विधवाओं के लिए हुआ ‘कृष्णा कुटीर’ का निर्माण

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल वृंदावन में रहने वाली विधवाओं की दुर्दशा पर संज्ञान लिया था और केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार को वृंदावन की विधवाओं के पुनर्वास के लिए सभी कदम उठाने का आदेश दिया था ताकि उन्हें गरिमापूर्ण जीवन मिल सके.

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने ‘स्वाधार गृह’ योजना के तहत 1.4 हेक्टेयर भूमि पर ‘कृष्णा कुटीर’ का निर्माण किया है. इस कुटीर में एक बड़ा आधुनिक रसोई घर और विधवाओं को प्रशिक्षित करने के लिए अन्य चीजों के साथ सिलाई, कढ़ाई, सिखाने के लिए एक कौशल-सह-प्रशिक्षण केंद्र भी है.

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक, इमारत के निर्माण के लिए केन्द्र सरकार ने राशि दिया है और इसके प्रबंधन की जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी.