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प्रदोष व्रत: भगवान शिव की पूजा से होती है इस दिन की शुरुआत, प्रदोषम मंत्र का करें जाप

माना जाता है कि इस व्रत में भगवान शिव जी की पूजा करने से सभी पापों का नाश होता है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार शिव जी की पूजा का सही समय शाम का है, इसी दौरान मंदिरों में प्रदोषम मंत्र का जाप किया जाता है

FP Staff

प्रदोष व्रत प्रत्येक माह में दो बार किया जाता है. प्रदोष व्रत के दौरान भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है. यह व्रत एक बार शुक्‍ल पक्ष और दूसरी बार कृष्‍ण पक्ष में आता है.

माना जाता है कि इस व्रत में भगवान शिव जी की पूजा करने से सभी पापों का नाश होता है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार शिव जी की पूजा का सही समय शाम का है, इसी दौरान मंदिरों में प्रदोषम मंत्र का जाप किया जाता है. शास्त्रों के अनुसार यदि व्‍यक्‍ति को सभी प्रकार की पूजा पाठ और व्रत करने के बाद भी सुख शांति और खुशी नहीं मिल रही है तो उस व्‍यक्‍ति को हर माह पड़ने वाले प्रदोष व्रत पर जप, दान, व्रत आदि करने से पूरा फल मिलता है.


प्रदोष व्रत पर उपवास करें, लोहा, तिल, काली उड़द, शकरकंद, मूली, कंबल, जूता और कोयला आदि चीजों का दान करें, जिससे शनि परेशान न कर सके. शनि खराब चलने से व्‍यक्‍ति को रोग, दरिद्रता और परेशानी आदि घेर लेती है. यदि प्रदोष व्रत शनि प्रदोष व्रत के रूप में आया है तो इस दिन शिव, हनुमान और भैरव की पूजा करनी चाहिए.

प्रदोष व्रत की विधि

व्रत रखने वाले व्‍यक्‍ति को व्रत के दिन सूरज उदय होने से पहले उठना चाहिए.

फिर नित्य कार्य कर के मन में भगवान शिव का नाम जपते रहना चाहिए.

व्रत में किसी भी प्रकार का आहार ना खाएं.

सुबह नहाने के बाद साफ और सफेद रंग के कपड़े पहनें.

अपने घर के मंदिर को साफ पानी या गंगा जल से शुद्ध करें और फिर उसमें गाय के गोबर से लीप कर मंडप तैयार करें.

इस मंडप के नीचे 5 अलग-अलग रंगों का प्रयोग कर रंगोली बनाएं.

फिर उतर-पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें और शिव जी की पूजा करें.

पूजा में 'ओउम् नम: शिवाय' का जाप करें और जल चढ़ाएं.

(तस्वीर प्रतीकात्मक है)