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Navratri 2018: नवरात्रि में ऐसे करें कलश स्थापना, न करें इसमें कोई गलती

मान्यता है कि व्रत रखने से मां दुर्गा को प्रसन्न किया जा सकता है. नवरात्रि के पहले दिन घर में कलश स्थापित किया जाता है.

FP Staff

नवरात्रि के पर्व का हिंदू धर्म में काफी महत्व है. साल में इस पर्व को दो बार मनाया जाता है. पहला चैत्र नवरात्रि तो दूसरा शारदीय नवरात्रि. इस साल शारदीय नवरात्रि 10 अक्टूबर से शुरू हो रही है जो कि 18 अक्टूबर तक चलेगी. इस दौरान नौ दिनों तक मां दुर्गा की पूजा अर्चना की जाती है और व्रत भी रखा जाता है. हालांकि नवरात्र में व्रत की शुरुआत करने के पहले कलश स्थापना भी किया जाता है. आइए जानते हैं नवरात्रि में कलश स्थापना कैसे करें...

मान्यता है कि व्रत रखने से मां दुर्गा को प्रसन्न किया जा सकता है. नवरात्रि के पहले दिन घर में कलश स्थापित किया जाता है. कलश स्थापना के लिए सबसे पहले एक कलश की जरूरत पड़ेगी. कलश सोना, चांदी, तांबा, पीतल या मिट्टी हो सकता है. इसके अलावा कलश स्थापना के लिए सामग्री में नारियल, मौली, धुले हुए 5/7/11 आम के पत्ते, रोली, शुद्ध जल और गंगा जल, केसर, जायफल, सिक्का, चावल और गेहूं की जरूरत होगी.


विधि

कलश स्थापना करने से पहले ये ध्यान रखें कि जिस जगह कलश स्थापित किया जाएगा वो जगह साफ होनी चाहिए. उस जगह के आस-पास भी किसी तरह की कोई गंदगी नहीं होनी चाहिए. अब कलश स्थापना करने के लिए एक लकड़ी का पाटा लें और उस पर नया और साफ लाल कपड़ा बिछाएं. अब नारियल और कलश पर मौली बांधे, रोली से कलश पर स्वास्तिक बनाएं.

वहीं कलश में शुद्ध जल और गंगा जल रखें और जल में केसर, जायफल और सिक्का डालें. इसके अलावा एक मिट्टी के बर्तन में जौ भी बो दें. इसी बर्तन पर जल से भरा हुआ कलश रखें. हालांकि इस दौरान ध्यान देने वाली बात है कि कलश का मुंह खुला न छोड़ें. उसे ढ़क दें. वहीं अगर कलश को किसी ढक्कन से ढका है तो उसे चावलों से भर दें और उसके बीचों-बीच एक नारियल भी रखें. इसके बाद दीप जलाएं और कलश की पूजा करें.

इनकी होती है पूजा

नवरात्र का अर्थ है ‘नौ रातों का समूह’. इसमें हर एक दिन दुर्गा मां के अलग-अलग रूपों की पूजा होती है. नवरात्र के नौ दिनों में एक-एक दिन मां शैलपुत्री, मां ब्रह्मचारिणी, मां चन्द्रघंटा, मां कूष्मांडा, मां स्कंदमाता, मां कात्यायनी, मां कालरात्रि, मां महागौरी, मां सिद्धदात्री की पूजा की जाती है. शक्तिस्वरूपा मां दुर्गा की आराधना महिलाओं के अदम्य साहस, धैर्य और स्वयंसिद्धा व्यक्तित्व को समर्पित है.