30 नवंबर को गीता जयंती के साथ मोक्षदा एकादशी भी मनाई जा रही है. मार्गशीर्ष मास के शुक्लपक्ष की एकादशी को मोक्षदा एकादशी कहा जाता है. मान्यता है इस दिन व्रत करने से मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस व्रत का पालन करने से पितरों को मुक्ति मिलती है और मोक्ष प्राप्त होता है.
इसी दिन महाभारत काल के समय भगवान कृष्ण ने अर्जुन को उपदेश दिया था जब अर्जुन इस बात से विचलित हो गए थे कि उन्हें अपनों के विरुद्ध युद्ध लड़ना है.
मान्यता है कि एकादशी से एक दिन पहले दशमी को सात्विक भोजन करना चाहिए और भगवान विष्णु का स्मरण करना चाहिए.
पूजा विधि:
1. मोक्षदा एकादशी को पूरे दिन व्रत रखना चाहिए जो दशमी की रात से शुरू होकर द्वादशी की सुबह पूरा होता है.
2. भगवान विष्णु के साथ भगवान दामोदार और कुष्ण की धूप, दीप तुलसी से पूजा करें और फलहार का प्रसाद भी चढ़ाएं.
3.पूजा पाठ करने के बाद व्रत-कथा सुनें और गीता का सम्पूर्ण पाठ करें या अध्याय 11 का पाठ करें.