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महाशिवरात्रि 2018: सभी साधकों के लिए अलग है पूजा विधि

मान्यता है कि महाशिवरात्रि की रात ग्रहों की दशा हमें शारीरिक और आध्यात्मिक ऊर्जा से सराबोर कर देती है

FP Staff

इस साल महाशिवरात्रि 13 फरवरी को है. ऐसी मान्यता है कि महाशिवरात्रि की रात ग्रहों की दशा कुछ ऐसी होती है जो हममें शारीरिक और आध्यात्मिक ऊर्जा से सराबोर कर देती है. लेकिन इसे पाने के लिए हमें रात भर जागना होता है वह भी साधनारत होकर.

कब होती है महाशिवरात्रि


अमावस्या से एक दिन पहले हर चंद्र महीने के 14वीं रात्रि को शिवरात्रि कहा जाता है. इस रात अध्यात्म में दिलचस्पी रखने वाले लोग साधना करते हैं. माघ के चंद्र महीने में पड़ने वाली 12वीं शिवरात्रि को महाशिवरात्रि की संज्ञा दी गई है. यह शुभ अवसर साल में एक बार ही मिलता है. इसे महाशिवरात्रि इसलिए कहते हैं क्योंकि 12 शिवरात्रों में इसे सबसे ज्यादा शक्तिशाली और प्रभावी माना गया है.

यह कोई जरूरी नहीं कि साधना करने वालों की जिंदगी में ही सिर्फ आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होता है. लेकिन इतना जरूर कहा गया है कि साधक योग साधना करते हैं जिससे उनमें ऊर्जा का संचार आसानी से होता है.

महाशिवरात्रि 2018 का शुभ मुहूर्त

महाशिवरात्रि का मुहूर्त 13 फरवरी की आधी रात से शुरू होकर 14 फरवरी तक रहेगा. इस दिन भगवान शिव का पूजन सुबह 7.30 से लेकर दोपहर 3.20 तक किया जाएगा. रात्रि के समय भगवान शिव का पूजन एक से चार बार कर सकते हैं. पारपंरिक रूप से पूजा करने के उपरांत अगली सुबह स्नान के बाद शिवलिंग पर जल चढ़ाने से व्रत खत्म हो जाएगा.

अच्छा करियर के लिए फलदायी महाशिवरात्रि

सिर्फ अध्यात्मवालों के लिए ही महाशिवरात्रि फलदायी नहीं है. बल्कि अच्छे करियर और पारिवारिक खुशहाली चाहने वालों के लिए भी इस रात का उतना ही महत्व है. जो लोग परिवार वाले हैं, वे महाशिवरात्रि को शिव विवाह की वर्षगांठ के रूप में मनाते हैं. महत्वाकांक्षी लोग शिव को उस रूप में देखते हैं जिस रूप में उन्होंने अपने शत्रुओं पर एकतरफा जीत दर्ज की थी.

आदि गुरु हैं शिव

योगिक परंपरा में शिव को भगवान के रूप में न पूजकर उन्हें दुनिया का पहला गुरु या आदि गुरु मानकर आराधना करते हैं. आदि गुरु से तात्पर्य उस व्यक्ति से है जिसने योग के विज्ञान की शुरुआत की. शिव का अर्थ होता है जो हो ही न. शिव के अराधक खुद का अस्तित्व न मानते हुए सबकुछ शिव का मानकर चलते हैं. इससे उनकी जिंदगी में एक खास आध्यात्मिक व्यक्तित्व का विकास होता है.

विज्ञान की मानें तो हमारे आस-पास एक रहस्यमयी ऊर्जा हमेशा बनी रहती है जिसे वैज्ञानिक अबतक कोई खास नाम नहीं दे पाए हैं. हालांकि साधु-संत इसी ऊर्जा को शिव नाम से पुकारते हैं.

क्या करें महाशिवरात्रि के दिन

ज्यादातर लोग इस दिन प्रार्थना करते हैं, ध्यान करते हैं या उत्सव मनाते हैं. कुछ लोग उपवास भी करते हैं. ये सब साधना के जरिया हैं. जहां तक उपवास की बात है तो इससे शरीर में जमे विष दूर होते हैं और दिमागी हलचल कम होती है. ऐसा माना जाता है कि जो दिमाग हलचलों से मुक्त नहीं होगा वह ध्यान के दौरान निंद में चला जाएगा. इसलिए महाशिवरात्रि के दिन उपवास शरीर को शुद्ध करता है जिससे ध्यान में मदद मिलती है.

इस दिन ध्यान का भी कॉनसेप्ट है. महाशिवरात्रि पर ग्रहों की दशा ऐसी होती है जिससे कि ध्यान करने से असीम ऊर्जा का संचार होता है. पुराने जमाने की एक कहावत प्रचलित है-रोज एक बार ध्यान जरूर करें. अगर नहीं तो कम से कम महाशिवरात्रि की रात जरूर जागें और ध्यान करें. इससे अपने अंदर की दैवी शक्ति को पहचानने में मदद मिलती है.