ध्यान का उद्देश्य अन्तर्मुख होना है. अन्तर्मुख होने का अर्थ है, आत्मिक आनंद की अवस्था में होना. तब हम प्रभु के साथ और समस्त सृष्टि के साथ अपनी आत्मा की एकता को पहचानते हैं. हमें यकीन हो जाता है कि हमारी आत्मा अजर अमर है.
अर्न्तमुख होने से हम उस दिव्य स्रोत से जुड़ जाते हैं जो समस्त ज्ञान का भण्डार है. ध्यान-अभ्यास द्वारा हम मृत्यु के द्वार को लांघकर, उस आनंद और सौंदर्य को पा लेते हैं जो हमारे भीतर हमारा इतंजार कर रहा है. उस अवस्था को पाकर हमें मृत्यु की तलवार का डर नहीं सताता क्योंकि हम जीते-जी उस स्थान को देख लेते हैं जहां मृत्यु के बाद हमें जाना है. तब हमें ईसा मसीह के इस वचन का सही अर्थ मालूम होता है, 'हां, मैं मृत्यु की वादी में चहलकदमी करता हूं परन्तु मैं भयभीत नहीं हूं क्योंकि तुम मेरे साथ हो.'
संतों-महात्माओं ने, जिन्होंने पारलौकिक जीवन को देखा है, अपनी वाणी में मृत्यु के बारे में वर्णन किया है. वे कहते हैं कि यह ऐसा कुछ नहीं जिससे कि हम भयभीत हों बल्कि उसका तो स्वागत किया जाना चाहिए. कबीर साहब ने कहा है, 'जिस मरने से जग डरे, मेरे मन आनंद, मरने ही ते पाइए पूरन परमानन्द' सेन्ट टेरेसा ने कहा है, 'मैं नहीं मरती, मैं तो जीवन में प्रवेश करती हूं.'
इस धरती पर जिसे हम जीवन कहते हैं, जाग्रत महापुरुषों के लिए यह एक निद्रा है; मृत्यु द्वारा प्रभु के राज्य में प्रवेश करना, जागना है. सेन्ट पॉल ने कहा है, 'ओ मृत्यु! तुम्हारा दंष कहां है? ऐ कब्र! तुम्हारी जीत कहां है?' हम जीते-जी इसी जीवन में उस जगह को देख सकते हैं जो इस जीवन के बाद हमारे लिए तैयार की गई है. अंतर में प्रवेश करके जब हम यह अनुभव पा लेते हैं तो आत्मा का अजर-अमरता होना हमारे लिए कोई सुनी-सुनाई बात नहीं रह जाती बल्कि एक ठोस विश्वास, एक अनुभूति बन जाती है.
प्रभु से एकता की अवस्था में हमारी आत्मा किसी भय को नहीं जानती
अनेक तरह के डर ऐसे होते हैं जिनके पीछे कुछ खोने का, दुःख का या मृत्यु का डर होता है. एक बार आत्मा के अमर होने का अनुभव होने के बाद हमारा भय समाप्त होने लगता है. प्रभु से एकता की अवस्था में हमारी आत्मा किसी भय को नहीं जानती. उस एकता के ज्ञान का अभाव ही, भय का कारण होता है. वास्तव में, सच्चाई से दूर होना ही पाप है. पाप का अर्थ है - प्रभु से अंजान रहना और सत्य व प्रेम के उस नियम से अंजान रहना जो कि समस्त ब्रह्माडों को संचालित करता है. यह एकदम आसान सूत्र है.
गुण वही है जो हमें परमात्मा के नजदीक लाए जो हमें प्रभु से दूर ले जाए, वह पाप है. यदि हम सच्चाई के रास्ते पर चलते हैं, अहिंसा, सच्चाई, पवित्रता, नम्रता और निष्काम सेवा जैसे गुण अपने जीवन में ढालते हैं और साथ ही साथ ध्यान-अभ्यास में नियम से समय देते हैं तो हमें इस दुनिया में और उसके बाद की दुनिया में किसी बात का भय नहीं रहता.
जब हम अपनी आत्मा के सच्चे स्वरूप से विमुख रहते हैं तो हम अलग-थलग और अकेले महसूस करते हैं, परन्तु जब हम अपनी आत्मा को सशक्त बनाते हैं, हम कभी अकेले नहीं होते. हम सदैव परमात्मा से और उसकी सृष्टि से एकता का अनुभव करते हैं. हमें अहसास होता है कि हमारे साथ हर समय एक दिव्य सखा रहता है. जब हम देखते हैं कि जो प्रकाश हमारी आत्मा में है वही दूसरी आत्माओं में भी है, तो हम सृष्टि के हर जीव को अपना समझते हैं.
सृष्टि हमारा परिवार बन जाती है और सारी दुनिया हमारा घर
एकता को इतने स्पष्ट रूप में देखकर हम अनुभव करते हैं कि सभी प्राणी एक ही परिवार के सदस्य हैं और दूसरों से मिलकर हमें मिलन की खुशी का एहसास होता है. तब पारिवारिक खुशी के स्थान पर हम संपूर्ण मानवता की खुशी देखते हैं. हमारे प्रत्येक व्यवहार में प्रेम का समावेष रहता है क्योंकि हम अपने सार्वभौमिक परिवार और मित्रों के बीच होते हैं. अंतर की यात्रा द्वारा हम इस अवस्था को पा सकते हैं जहां सारी सृष्टि हमारा परिवार बन जाती है और सारी दुनिया हमारा घर.
जब हम अर्न्तमुख होते हैं तो हम आनंद के अनंत स्रोत को पा लेते हैं महान सूफी संत, शम्स तबरेज़ ने आनन्द की इस अवस्था का कुछ वर्णन इस तरह किया है- 'कृपया मेरी अन्दर की अवस्था के बारे में मत पूछो. मेरी इन्द्रियां, बुद्धि और आत्मा सब मदमस्त है और उन्होंने हमेशा के लिए आनंद की मस्ती को पा लिया है. इन पेड़ों की जड़ें प्रेम की रूहानी मय को पी रही हैं. धैर्य रखो, क्योंकि एक दिन तुम भी मस्ती के इस आलम में जाग उठोगे. मेरे भीतर मस्ती का एक उत्सव है. दिव्य प्रेम की सुरा के असर को अनुभव करो ताकि यह दीवारें और दरवाजे भी मस्ती में झूम उठें.
जब हम किसी दुनियावी प्रियतम के प्रेम में होते हैं तो सारा संसार प्रेम के रंग में रंग जाता है. हमें हर चीज गुलाबी और खुशगवार लगती है. इसी तरह अंतर के आनंद की अवस्था में पूरा संसार आनंद के रंग में रंग जाता है. तब हम जहां देखते हैं हमें खुशी ही खुशी दिखाई देती है.
(लेखक सावन कृपाल रूहानी मिशन के प्रमुख हैं)