इस साल 10 नवंबर 2017 के दिन महाकाल भैरवाष्टमी मनाई जाएगी. इसी दिन भैरव रुप में प्रकट हुए थे. काल भैरव अष्टमी साधना के लिए कठिन मानी जाती है.
हिंदु मान्यताओं के मुताबिक शिव के अपमान स्वरूप मार्गशीर्ष महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को भगवान शंकर के अंश से भैरव की उत्पत्ति हुई थी. इसलिए इस तिथि को कालभैरव अष्टमी नाम से जाना जाता है.
शिव जी के दो रूप हैं एक बटुक भैरव और दूसरा काल भैरव. बटुक भैरव भक्तों को अभय देने वाले सौम्य स्वरूप में प्रसिद्ध है. वहीं काल भैरव आपराधिक प्रवृत्तियों पर नियंत्रण करने वाले प्रचंड दंडनायक हैं.
कैसे हुई काल भैरव की उत्पत्ति?
पुराणों के मुताबिक भगवान ब्रह्मा और विष्णु के बीच श्रेष्ठ होने का विवाद हुआ. श्रेष्ठ होने के विवाद को सुलझाने के लिए सभी देवता और मुनि शिव जी के पास पहुंचे.
सभी देवताओं और मुनि की सहमति से फलस्वरूप शिव जी को श्रेष्ठ माना गया. परंतु ब्रह्मा जी इस समाधान से खुश नहीं थे. अंहकार में ब्रह्मा जी शिव जी का अपशब्द कहे.
अपशब्द बातें सुनकर शिव जी को गुस्सा आ गया. इसी गुस्से के चलते कालभैरव का जन्म हुआ. उसी दिन से कालाष्टमी का पर्व शिव के रुद्र अवतार कालभैरव के जन्म दिन के रूप में मनाया जाने लगा.
व्रत रखने से क्या हैं फायदे?
- भैरव अष्टमी के दिन काल भैरव की पूजा करने से सारे कष्ट नष्ट हो जाते हैं.
- काल भैरव की पूजा करने से सारे पापों से मुक्ति मिलती है.
- काल भैरव को प्रसन्न करने के लिए काले कुत्ते को मीठा भोजन कराना चाहिए.
- इस दिन काल भैरव के दर्शन करने से भूत पिशाच का डर खत्म हो जाता है.
इस मंत्र का करें जाप
अतिक्रूर महाकाय कल्पान्त दहनोपम्,
भैरव नमस्तुभ्यं अनुज्ञा दातुमर्हसि!!