view all

Janmashtami 2018: आखिर क्यों रहता है जन्माष्टमी पर 'दही-हांडी' उत्सव का क्रेज

श्रीकृष्ण के जरिए माखन चोरी करने के डर से वृन्दावन में महिलाओं ने मथे हुए माखन की मटकी को काफी ऊंचाई पर लटकाना शुरू कर दिया ताकि श्रीकृष्ण का हाथ उस मटकी तक न पहुंचे.

FP Staff

इस साल जन्माष्टमी 3 सितंबर को मनाई जाएगी. जन्माष्टमी के मौके पर दही-हांडी का उत्सव भी बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. लोगों में जन्माष्टमी पर दही-हांडी का भी खासा क्रेज देखा जाता है. 3 सितंबर को दही-हांडी उत्सव भी मनाया जाएगा. भारत में गुजरात, महाराष्ट्र जैसे कई राज्यों में दही-हांडी की प्रथा के साथ जन्माष्टमी मनाया जाता है. इस दौरान लड़कों का समूह एक ग्राउंड में इकट्ठा होता है और वह समूह पिरामिड बनाकर जमीन से कुछ फुट ऊंचाई पर लटकी मिट्टी की मटकी को तोड़ता है. इसका काफी महत्व भी है.

दरअसल, श्रीकृष्ण को काफी नटखट माना जाता है. बचपन में वे काफी शरारती थे. माखन, दही और दूध श्रीकृष्ण को काफी पंसद था और कई मौकों पर उन्होंने बचपन में पूरे गांव से माखन चुराते हुए भी पकड़ा गया. हालांकि श्रीकृष्ण को माखन चोरी करने से रोकने के लिए उनकी मां यशोदा ने एक बार उन्हें एक खंभे से भी बांध दिया था. जिसके कारण ही उन्हें 'माखन चोर' के नाम से भी संबोधित किया जाता है.


इसलिए मनाते हैं दही-हांडी का उत्सव

दही-हांडी का उत्सव काफी उल्लास के साथ मनाया जाता है. इस उत्सव को मनाने के लिए एक वाकया भी प्रचलित है. दरअसल, श्रीकृष्ण के जरिए माखन चोरी करने के डर से वृन्दावन में महिलाओं ने मथे हुए माखन की मटकी को काफी ऊंचाई पर लटकाना शुरू कर दिया ताकि श्रीकृष्ण का हाथ उस मटकी तक न पहुंचे. लेकिन श्रीकृष्ण ने अपनी समझदारी दिखाई और माखन चोरी करने के लिए योजना बनाई. माखन चुराने के लिए श्रीकृष्ण ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर एक पिरामिड बनाया और जमीन से काफी ऊंचाई पर लटकाई गई मटकी से दही और माखन को चुरा लिया. बस, वहीं से प्रेरित होकर दही हांडी का उत्सव मनाया जाने लगा. दही हांडी के उत्सव के दौरान जो लड़का सबसे ऊपर खड़ा होता है उसे गोविंदा कहा जाता है. वहीं समूह के बाकि लड़कों को हांडी या मंडल कहा जाता है.