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Janmashtami 2018: वृंदावन के इन मंदिरों में जन्माष्टमी पर होती है अलग रौनक

बात करते हैं वृंदावन के उन मंदिरों की जहां हम जन्माष्टमी मना सकते हैं. यहां की जन्माष्टमी बहुत लोकप्रिय भी है. इन मंदिरों को सजाया जाता है. साथ ही जन्माष्टमी पर यहां की रौनक बहुत अलग होती है.

FP Staff

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी भाद्रपद की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है. इस बार जनमाष्टमी 3 सितंबर को है. केवल वैष्णव संप्रदाय के लिए ही नहीं बल्कि सभी हिंदुओं के लिए श्रीकृष्ण जन्माष्टमी एक विशेष पर्व है.

आज हम बात करेंगे मथुरा-वृंदावन के उन मंदिरों की जहां हम जन्माष्टमी मना सकते हैं. यहां की जन्माष्टमी बहुत लोकप्रिय भी है. इन मंदिरों को सजाया जाता है. साथ ही जन्माष्टमी पर यहां की रौनक बहुत अलग होती है.


बांके बिहारी मंदिर मथुरा के वृंदावन में स्थित है. इस मंदिर की स्थापना स्वामी हरिदास ने की थी. इस मंदिर में भगवान कृष्ण के बाल रूप की पूजा की जाती है. (फोटो: विकिपीडिया)

पागल बाबा का मंदिर वृंदावन में स्थित है. मान्यता के अनुसार, यहां भगवान श्री कृष्ण ने युवावस्था में थे और यहां उन्होंने राधा और गोपियों के साथ रासलीला की थी.

इस मंदिर का निर्माण जगद्गुरु कृपालु जी महाराज ने किया था. यह 54 एकड़ में फैला हुआ है. इसे बनाने में 1000 आर्टिस्ट के साथ 12 साल लगे थे. इस मंदिर को जन्माष्टमी पर विशेष तौर पर सजाया जाता है.

आप कृष्ण नगरी वृंदावन गए और यहां का इस्कॉन मंदिर नहीं देखा तो कह सकते हैं कि आपकी यात्रा अधूरी रही. इस मंदिर की खूबसूरती देखते ही बनती है. यह 1975 में बना था. इस मंदिर को श्री कृष्ण बलराम मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. ऐसा माना जाता है कि श्रीकृष्ण 5 हजार साल पहले यहां दूसरे बच्चों के साथ खेला करते थे.