कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को गोवर्धन उत्सव मनाया जाता है.
गोवर्धन को 'अन्नकूट पूजा' भी कहा जाता है. सामान्य भाषा में कहा जाए तो दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है.
इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्र की पूजा की बजाय गोवर्धन की पूजा शुरू करवाई थी. इस दिन गोबर घर के आंगन में गोवर्धन पर्वत की चित्र बनाकर पूजन किया जाता है. इस दिन गायों की सेवा का विशेष महत्व है. गोवर्धन पूजा का श्रेष्ठ समय प्रदोष काल में माना गया है.
पूजा करने की विधि
इस दिन घर के आंगन में गोबर से गोवर्धन का चित्र बनाकर उसकी पूजा रोली, चावल, खीर, बताशे, जल, दूध, पान, केसर, फूल आदि से दीपक जलाने के बाद की जाती है. गायों को स्नान कराकर उन्हें सजाकर उनकी पूजा करें. गायों को मिष्ठान खिलाकर उनकी आरती कर प्रदक्षिणा करनी चाहिए.
अन्नकूट शब्द का अर्थ
अन्नकूट शब्द का अर्थ होता है अन्न का समूह. विभिन्न प्रकार के अन्न को समर्पित और वितरित करने के कारण ही इस पर्व का नाम अन्नकूट पड़ा है. इस दिन बहुत प्रकार के पक्वान, मिठाई आदि का भगवान को भोग लगाया जाता है.
गोवर्धन पूजा 2017 शुभ मुहूर्त
- सुबह का मुहूर्त- सुबह 06:28 बजे से 08:43 बजे तक
- शाम का मुहूर्त - 03:27 बजे से सायं 05:42 बजे तक
- प्रतिपदा - रात 00:41 बजे से शुरू (20 अक्टूबर 2017)
- प्रतिपदा तिथि समाप्त - रात्रि 1:37 बजे तक (21 अक्तूबर 2017)
छोटी मगर मोटी बातें
- ऐसा माना जाता है कि अगर गोवर्धन पूजा के दिन कोई दुखी है तो वह साल भर दुखी रहता है.
- इस दिन जो शुद्ध भाव से भगवान के चरणों में सादर समर्पित, संतुष्ट, प्रसन्न रहता है वह पूरे साल भर सुखी और समृद्ध रहता है.
- ऐसा माना जाता है कि भगवान वामन द्वारा दिए गए वरदान के कारण असुर राजा बालि इस दिन पाताल लोक से पृथ्वी लोक आते हैं.
- जरात, महाराष्ट्र राज्यों में इसी दिन से नव वर्ष की शुरूआत होती है.
- ये पर्व वज्र भूमि में ज्यादा लोकप्रिय है.