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Chhath Puja 2017: क्या है खरना का महत्व, कैसे करें पूजा

खरना के दिन लोग प्रसाद ग्रहण करने बिना किसी भेदभाव और बुलावे के व्रती के घर पहुंचते हैं

FP Staff

नहाय खाय के साथ आस्था और विश्वास का महापर्व छठ पूजा शुरू हो चुकी है जो चार दिनों तक चलती है. आज इसका दूसरा दिन है इस दिन खरना व्रत की परंपरा निभाई जाती है.जो कार्तिक शुक्ल की पंचमी तिथि होती है.

नहाय खाय के बाद दूसरे दिन शाम में खरना का आयोजन किया जाता है. खरना का मतलब पूरे दिन का उपवास होता है.


खरना का महत्व

हिंदू मान्यता के मुताबिक इस व्रत को करने से संतान प्राप्ति होती है. साथ ही परिवार पर आए कष्ट दूर होते हैं.

खरना व्रत रखने की विधि

- खरना के दिन महिलाओं का 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू होता है

- ये व्रत उगते हुए सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के बाद समाप्त होता है.

- इस दिन व्रती महिलाएं व्रत कर शाम में स्नानकर विधि-विधान से रोटी और गुड़ से बनी खीर का प्रसाद तैयार करती है.

- खीर के अलावा मूली, केला भी होता है. इन सभी को साथ रखकर ही पूजा की जाती है.

- इस दिन मिट्टी के चूल्हे पर आम की लकड़ी जलाकर खीर (प्रसाद) तैयार किया जाता है.

- भगवान भास्कर की पूजा-अर्चना करने के बाद प्रसाद ग्रहण करती हैं.

खरने के दिन क्या न करें

-  प्याज-लहसुन का इस्तेमाल न करें

- उत्सव में शामिल होने वाले लोग पुराने कपड़े न पहनें

- सिलाई वाले कपड़े न पहनें

- एक बूंद भी जल ग्रहण न करें

- शोर शराबे वाली जगह पर जाने से बचें