दीपावली के बाद हिंदू त्योहारों में भैया दूज/भाई दूज का काफी महत्व होता है. भाई-बहन के प्यार के प्रतीक में भैया दूज भी मनाया जाता है. रक्षा बंधन की तरह ही भैया दूज का भी त्योहार अपना महत्व रखता है. भाई-बहन के परस्पर प्रेम और स्नेह का प्रतीक भैया दूज दिवाली के बाद कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को मनाया जाता है. इस दिन बहनें अपनी भाइयों के रोली और अक्षत से तिलक करके उनके उज्जवल भविष्य की कामना करती हैं. इसे भाई बहन के प्यार और त्याग के त्योहार के रूप में मनाया जाता है. इस साल भैया दूज 9 नवंबर को मनाया जाएगा.
भैया दूज का महत्व
भाई-बहन के खास रिश्ते के लिए रक्षाबंधन की तरह भैया दूज भी मनाया जाता है. भाई दूज का त्योहार दिवाली के दो दिन बाद खास रूप से दोपहर के वक्त या दोपहर के बाद मनाया जाता है. इस दिन अपने भाई को बहनें तिलक करती हैं. साथ ही इस दिन व्रत भी रखा जाता है. दोपहर के बाद यम पूजा करने का भी प्रावधान है.
ऐसे करें भाई का पूजन
भैया दूज के दिन बहनें आसन पर चावल के घोल से चौक बनाएं. रोली, चांडाल, चावल, घी का दिया, मिष्ठान से थाल सजाएं. कद्दू के फूल, सुपारी, मुद्रा हाथों पर रख कर धीरे-धीरे हाथों पर पानी छोड़ें. भाई के माथे पर तिलक लगाएं. भाई, बहन के लिए कुछ उपहार दें. भाई की लंबी उम्र की कामना करें. इसके बाद बहन भाई के मस्तक पर तिलक लगाकर कलावा बांधे और भाई के मुंह में मिठाई, मिश्री और माखन दें. भाई को तीलक शुभ मुहूर्त में दोपहर में 1 बजे से 3 बजे के बीच करें.