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भगवान ऋषभनाथ: जिनके बेटे भरत के नाम पर पड़ा अपने देश का नाम भारत

जैन पुराणों के अनुसार भगवान ऋषभनाथ राजा नाभिराज और महारानी नरुदेवी के पुत्र थे

FP Staff

भगवान ऋषभनाथ जिन्हें जैन धर्म का पहले तीर्थंकर के रूप में जाना जाता है. तीर्थंकर का अर्थ होता है जो तीर्थ की रचना करे. जो संसार सागर (जन्म मरण के फेर) से मोक्ष तक के तीर्थ की रचना करे, वह तीर्थंकर कहलाते हैं. ऋषभनाथ को ऋषभदेव जी, आदिनाथ, वृषभनाथ भी कहा जाता है. भगवान ऋषभदेव वर्तमान अवसर्पिणी काल के प्रथम दिगम्बर जैन मुनि थे.

जैन पुराणों के अनुसार भगवान ऋषभनाथ राजा नाभिराज और महारानी नरुदेवी के पुत्र थे. भगवान ऋषभनाथ का विवाह यशावती देवी और सुनन्दा से हुआ था. कहा जाता है कि ऋषभनाथ के 100 बेटे और 2 बेटियां थीं. उन 100 पुत्रों में से भरत चक्रवर्ती सबसे बड़े थे. भरत चक्रवर्ती पहले चक्रवर्ती सम्राट हुए थे जिनके नाम पर अपने देश का नाम भारत पड़ा था.


इनके दूसरे बेटे बाहुबली भी एक महान राजा थे. इन्हें कामदेव नाम से भी जाना था. इनके आलावा ऋषभदेव के वृषभसेन, अनन्तविजय, अनन्तवीर्य, अच्युत, वीर, वरवीर आदि बेटे थे. इनकी दो बेटियां ब्राम्ही और सुन्दरी नामक दो बेटियां भी हुई, जिनको खुद पिता ऋषभनाथ ने सबसे पहले युग की शुरुआत में क्रमश: लिपिविद्या (अक्षरविद्या) और अंकविद्या का ज्ञान दिया. बाहुबली और सुंदरी की माता का नाम सुनंदा था.

भरत चक्रवर्ती, ब्रह्मी और 98 बेटों की माता का नाम सुमंगला था. ऋषभनाथ भगवान का जन्म 84 लाख ईसा पूर्व में हुआ था. माना जाता है कि भगवान ऋषभनाथ 20 साल कि छोटी उम्र में ही राजा बन गए थे और लगभग 63 साल तक अपने राज्य पर शासन किया.

वैदिक धर्म में भी मिलता है उल्लेख

वैदिक धर्म में भी ॠषभदेव का उल्लेख किया गया है. भागवत में अर्हन् राजा के रूप में इनका विस्तृत वर्णन है. इसमें भरत आदि 100 पुत्रों का कथन जैन धर्म की तरह ही किया गया है. भागवत के अनुसार भगवान ऋषभनाथ ने अपने जीवन के अंतिम समय में दिगम्बर (नग्न) साधु होकर पूरे भारत में भ्रमण किया था. कई प्राचीन वैदिक साहित्य में भी इनका आदर के साथ उल्लेख किया गया है.

हिन्दूपुराण श्रीमद्भागवत के पांचवे पाठ के अनुसार मनु के पुत्र प्रियव्रत के पुत्र आग्नीध्र हुए जिनके पुत्र राजा नाभि (जैन धर्म में नाभिराय नाम से उल्लिखित) थे. राजा नाभि के पुत्र ऋषभनाथ हुए जो कि महान प्रतापी सम्राट हुए. भागवतपुराण के अनुसार भगवान ऋषभनाथ का विवाह इन्द्र की पुत्री जयन्ती से हुआ था. इसमें भी इनके 100 बेटों का जिक्र मिलता है.

उनमें भरत चक्रवर्ती सबसे बड़े एवं गुणवान बताए गए हैं. उनसे छोटे कुशावर्त, इलावर्त, ब्रह्मावर्त, मलय, केतु, भद्रसेन, इन्द्रस्पृक, विदर्भ और कीकट ये नौ राजकुमार शेष नब्बे भाइयों से बड़े एवं श्रेष्ठ थे. उनसे छोटे कवि, हरि, अन्तरिक्ष, प्रबुद्ध, पिप्पलायन, आविर्होत्र, द्रुमिल, चमस और करभाजन ये नौ पुत्र राजकुमार भागवत धर्म का प्रचार करने वाले बड़े भगवद्भक्त थे. इनसे छोटे इक्यासी पुत्र पिता की की आज्ञा का पालन करते हुए पुण्यकर्मों का अनुष्ठान करने से शुद्ध होकर ब्राह्मण हो गए थे.