मां बनना एक बहुत ही खूबसूरत एहसास है. जितना खूबसूरत ये एहसास है उतना ही खूबसूरत
है मां और बच्चे का रिश्ता. मां बनना एक औरत के लिए एक अहम शारीरिक बदलाव भी है. बच्चे के विकास में मां के दूध का महत्व हम सब समझते हैं. लेकिन कई बार खराब सेहत या वक्त से पहले बच्चा पैदा होने के कारण मां अपना दूध पिलाने में असमर्थ होती है. बच्चे के अपना दूध न पिला पाने पर मां पर भावनात्मक दबाव बढ़ता है.
एक तरफ जहां कुछ मांएं दूध पिलाने में असमर्थ होती हैं वहीं कुछ मांएं ऐसी भी हैं जिन्हें ज्यादा मात्रा में दूध निकलता है. कितना अच्छा हो अगर ऐसी ही एक मां का दूध किसी ऐसे बच्चे को मिल जाएं जिसकी मां किसी वजह से अपने बच्चें को दूध नहीं पिला पा रही है.
कहां से आई यह सोच
कुछ ऐसी ही सोच के साथ दिल्ली के फोर्टिस ला फेमे अस्पताल में शुरू किया गया अमारा मिल्क बैंक. इस मिल्क बैंक में वो मांए अपना दूध डोनेट कर सकती हैं जिन्हें दूध अधिक मात्रा में होता हैं. अमारा मिल्क बैंक के फाउंडर डॉक्टर अंकित श्रीवास्तव कहते हैं, ‘मां का दूध बच्चे की परवरिश के लिए कितना जरूरी है यह मैंने उस वक्त समझा जब मेरे बच्चों ने जन्म लिया. अपने बच्चों के लिए रिसर्च करते-करते मुझे इस बात का भी अहसास हुआ कि कितने ऐसे बच्चे हैं जिन्हें मां का दूध ना मिल पाने के कारण पूरा पोषण नहीं मिल पाता.’ और बस तभी उन्हें ख्याल आया मिल्क बैंक का.
अंकित की इस कोशिश को साथ मिला फोर्टिस अस्पताल के डॉक्टर रघुराम मलाइया का. डॉक्टर रघुराम से बात करने पर अंकित को पता चला कि ये मुमकिन है और बस शुरू हो गया अमारा मिल्क बैंक.
डॉक्टर रघुराम कहते हैं कि मां का दूध प्रीमेच्योर बच्चे के जिंदा रहने के चांस को 6 गुना तक बढ़ा देता हैं. साथ ही एक मां का दूध दूसरे बच्चे के लिए पूरी तरह सुरक्षित है.
फोर्टिस अस्पताल में ही अपनी 6 महीने की प्रेगनेंसी में बच्चे को जन्म देने वाली प्रियंका कहती हैं कि मुझे सच में नहीं पता था कि इतने छोटे बच्चे को बचा पाना मुमकिन भी हैं या नहीं. प्रियंका कहती हैं उन्हें इस बात की बेहद खुशी है कि किसी ने इस बारे में सोचा ओर किसी और मां के दूध मिलने से उनके बच्चे की जान बच सकीं. हर साल 1 अगस्त से 7 अगस्त तक वर्ल्ड ब्रेस्ट फीडिंग वीक मनाया जाता है.