view all

भोपाल: मुलाकाती बच्चों के चेहरे पर मुहर लगाने वाली महिला जेल स्टाफ सस्पेंड

मुलाकातियों को प्रवेश के दौरान अमूमन हाथ पर मुहर लगाई जाती है लेकिन भोपाल केंद्रीय जेल में इन दो बच्चों के गाल पर मुहर लगाई गई थी

Bhasha

भोपाल केंद्रीय जेल में राखी के मौके पर जेल कैदियों से मुलाकात करने आए मुलाकातियों में से दो बच्चों के चेहरों पर कथित रूप से भोपाल केंद्रीय जेल की मुहर लगाने के मामले में एक महिला प्रहरी को सस्पेंड कर दिया गया.

जेल पुलिस महानिरीक्षक संजय चौधरी ने बताया, ‘भोपाल केंद्रीय जेल में सोमवार को जेल कैदियों से मुलाकात करने आये दो बच्चों के चेहरों पर मुहर लगाने के मामले में महिला प्रहरी रश्मि प्रजापति को निलंबित किया गया है.’


यह भी पढ़ें: रक्षाबंधन: जेल में पिता से मिलने पहुंचे बच्चों के चेहरे पर लगाई मोहर

उन्होंने कहा, ‘इन बच्चों के गालों पर मुहर लगाने के मामले में प्रथम दृष्ट्या महिला प्रहरी की लापरवाही पायी गई. उसी ने इन दोनों बच्चों के चेहरे पर मुहर लगाई थी. लेकिन यह दुर्भावना से नहीं लगाई गई थी.’ चौधरी ने बताया इस मामले की विभागीय जांच होगी.

जेल में कैदियों से मिलने आने वाले मुलाकातियों को प्रवेश के दौरान अमूमन हाथ पर मुहर लगाई जाती है लेकिन इन दो बच्चों के गाल पर मुहर लगाई गई थी.

मानवाधिकार आयोग ने लिया था संज्ञान

मध्य प्रदेश मानवाधिकार आयोग के जनसंपर्क अधिकारी एल आर सिसोदिया ने बताया, ‘मानवाधिकार आयोग ने एक किशोरी सहित इन दो बच्चों के चेहरे पर लगाई गई इस मुहर पर संज्ञान लिया और जेल महानिदेशक को इस संबंध में कल नोटिस जारी करके सात दिन के अंदर उनसे जवाब मांगा.’

सिसोदिया ने बताया कि मानवाधिकार आयोग का मानना है कि बच्चों के चेहरे पर इस तरह जेल प्रशासन द्वारा मुहर लगाना मानवाधिकारों और बाल अधिकारों को उल्लंघन है.

उन्होंने कहा कि आयोग ने मंगलवार को मीडिया में इन दोनों बच्चों के चेहरे पर मुहर लगी तस्वीर आने के बाद यह कार्रवाई की.

आयोग द्वारा नोटिस मिलने के बाद जेल विभाग हरकत में आया और इस कृत्य को गंभीरता से लेते हुए महिला प्रहरी पर सख्त कार्रवाई करके उसे सस्पेंड किया.

हालांकि, भोपाल केंद्रीय जेल के अधीक्षक दिनेश नरगावे ने मंगलवार को ‘पीटीआई-भाषा’ को फोन पर बताया था, ‘राखी के दिन जेल में कैदियों से मिलने के लिए तकरीबन 8,500 मुलाकाती आते हैं. कुछ महिलाएं और लड़कियां बुर्का पहनकर आती हैं. इसलिए गलती से मुहर हाथ की बजाय गाल पर लग गई होगी. ऐसा प्रतीत होता है कि यह जान-बूझकर नहीं लगाई गई है.’

उन्होंने कहा था कि दरअसल, जेल में परिजनों को कैदियों से मिलने से पहले पहचान चिह्न के लिए इस तरह की मुहर हाथ पर लगाई जाती है, ताकि कोई कैदी भीड़ का फायदा उठाकर बाहर न निकल जाए.