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केरल में राजनीतिक हत्याओं की न्यायिक जांच हो: आरएसएस

'पिछले 13 महीने में आरएसएस के 14 कार्यकर्ताओं की कथित तौर पर सीपीएम से जुड़े अपराधिक तत्वों ने हत्या की है'

Bhasha

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने वाममोर्चा शासित केरल मे राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग करते हुए आरोप लगाया है कि राज्य में संवैधानिक ढांचा ध्वस्त हो गया है और राज्य सरकार के संरक्षण में आरएसएस और बीजेपी कार्यकर्ताओं पर सुनियोजित हमले हो रहे हैं और उनकी हत्या की जा रही है.

संघ ने केरल में इन राजनीतिक हत्याओं की हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के मार्गदर्शन में न्यायिक जांच कराने की भी मांग की.


आरएसएस के सह सर कार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने संवाददाताओं से कहा कि पिछले 13 महीने में आरएसएस के 14 कार्यकर्ताओं की कथित तौर पर सीपीएम से जुड़े अपराधिक तत्वों ने हत्या की है. ये कम्युनिस्टों की तालिबानी मानसिकता का परिचायक है. ये लक्षित और सुनियोजित हमले हैं. इन हमलों में मुख्य रूप से हमारे दलित प्रचारकों को निशाना बनाया गया , क्योंकि हमारे संगठन में काफी संख्या में दलित, मछुआरे, सफाई करने वाले, ट्रक चलाने वाले शामिल हो रहे हैं. यह सीपीएम को बर्दाश्त नहीं हो रहा है.

उन्होंने कहा कि अक्टूबर 2016 में अखिल भारतीय अधिवेशन में हमने केरल में हिंसा को लेकर एक प्रस्ताव पारित किया था. हमने राष्ट्रपति और गृह मंत्री के समक्ष भी इस विषय को उठाया और अच्छी बात है कि संसद में पिछले दो दिनों में यह विषय उठा है. लेकिन ये हमले रूक नहीं रहे हैं. सुनियोजित और जघन्य तरीके आरएसएस कार्यकर्ताओं पर ऐसे हमले हो रहे हैं.

यह पूछे जाने पर क्या ऐसी स्थिति में केरल में राष्ट्रपति शासन नहीं लगना चाहिए, होसबोले ने कहा कि हमारे यहां संघीय व्यवस्था है. इस बारे में राज्यपाल को रिपोर्ट देना होता है. ‘ केरल में चूंकि संवैधानिक ढांचा ध्वस्त हो गया है तो लोगों की मांग के अनुरूप राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग होनी चाहिए.’

उन्होंने कहा कि लेकिन राष्ट्रपति शासन के बाद भी ऐसी हत्याएं रूकेंगी, इसकी क्या गारंटी है ? उन्होंने कहा, ‘केरल में इन राजनीतिक हत्याओं की हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के मार्गदर्शन में न्यायिक जांच कराई जानी चाहिए. यह हमारी मांग है. ऐसा नहीं होने पर केरल की सरकार तथ्यों को दबा देगी, पुलिस अधिकारियों को प्रभावित करने का प्रयास कर सकती है.‘

होसबोले ने दावा किया कि संघ ने कई बार शांति स्थापित करने का प्रयास किया लेकिन सीपीएम के सहयोग के अभाव में इसका कोई नतीजा नहीं निकल सका.