अमावस्या तो हर महीने आती है, लेकिन जरूरी नहीं है कि वह अमावस्या सोमवार को ही पड़े. कहते हैं, सोमवार को कोई अमावस्या बड़े भाग्य से पड़ती है और जो अमावस्या इस दिन को पड़ती है, वह अमावस्या, सोमवती अमावस्या कहलाती है. वर्ष 2017 में पहली सोमवती अमावस्या 21 अगस्त को यानी आज है और इस साल की दूसरी सोमवती अमावस्या 18 दिसंबर को पड़ेगी.
सोमवती अमावस्या के लिए तरसते रहे पांडव
आपको बता दें, महाभारत काल में पांडव आजीवन सोमवती अमावस्या के लिए तरसते रहे, लेकिन कभी किसी सोमवार को अमावस्या पड़ी ही नहीं और महाप्रतापी पांडव सोमवती अमावस्या का पुण्यलाभ उठाने में नाकाम रहे. आइए जानते हैं कि सोमवार को पड़ने वाली यह अमावस्या इतनी ख़ास क्यों मानी गई है?
मन का कारक है चन्द्रमा
सोम का अर्थ होता है चन्द्र और वार माने दिवस अर्थात यह दिन ज्योतिष के नवग्रहों में चन्द्रमा को समर्पित दिवस है. वैदिक ज्योतिष के जनक महर्षि पाराशर ने अपने ग्रंथ 'वृहत-पाराशर होराशास्त्र' में बताया है कि चन्द्रमा मन का कारक है. जो सभी प्रकार के विचारों का उद्गम-बिंदु है और हर्षोल्लास, दैहिक-दैविक-भौतिक आधि-व्याधि से सदैव प्रभावित होता रहता है, जिसका प्रभाव तात्कालिक नहीं बल्कि दीर्घकालिक होता है.
मन-सबंधी दोषों के उपाय का विशेष दिन
सोमवार का दिन महादेव शिव को भी समर्पित है और भगवान शिव ने चन्द्रमा को अपने मस्तक पर धारण रखा है. भगवान शिव को चन्द्रमा की शीतलता अति-प्रिय है, क्योंकि इससे उनका मन शांत रहता है. इसलिए इस दिन अमावस्या पड़ने का अर्थ है कि यह दिन मन-सबंधी दोषों और विकारों के निवारण के लिये सर्वोत्तम है. यही कारण है कि सोमवती अमावस्या को सभी प्रकार के तंत्र-मंत्र-यंत्र साधक विशेष अनुष्ठान संपन्न कर मन-सबंधी दोषों के निवारण के लिए तंत्र-मंत्र-यंत्र की विशेष सिद्धि करते हैं.
व्रतों में शीर्ष मणि है सोमवती अमावस्या
सोमवती अमावस्या के दिन अनेक श्रद्धालु और साधक व्रत और उपवास रखते हैं. इस व्रत को भीष्म पितामह ने 'व्रत शिरोमणि' यानी व्रतों में शीर्ष मणि कहा है. यह अमावस्या एक वर्ष में एक या दो बार ही होती है. लेकिन इस दिन का विशेष महत्व है. धर्मग्रंथों में सोमवती अमावस्या को कलियुग के कल्याणकारी पर्वो में से एक माना गया है.
सोमांश रखता है मन को ऊर्जावान और नीरोग
शास्त्रों और पौराणिक मान्यताओं के हिसाब से अमावस्या और पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा यानी सोम का अंश अर्थात सोमांश यानी अमृतांश सीधे-सीधे पृथ्वी पर पड़ता है. मान्यता है कि सोमवती अमावस्या को सोमांश (चंद्रमा का अमृतांश) पृथ्वी पर सबसे अधिक मात्रा में पड़ता है, जिसका कण-कण मानव मन को ऊर्जावान और नीरोग रखता है.
और भी हैं पौराणिक कारण
सोमवती अमावस्या को अन्य अमावस्याओं से अधिक पुण्यकारी मानने के पीछे और भी पौराणिक कारण हैं. अमावस्या, अमा और वस्या दो शब्दों से मिलकर बना है. शिव महापुराण में इस संधि विच्छेद को भगवान शिव ने माता पार्वती को समझाया है. वे कहते हैं, सोम को अमृत भी कहते हैं, अमा का अर्थ है एकत्र करना और वस्या वास को कहा गया है. यानी जिसमें सब एक साथ वास करते हों, वह अमावस्या अति पवित्र सोमवती अमावस्या ही है. इस दिन भक्तों को अमृत की प्राप्ति होती है.
मौन रहकर पुण्य-स्नान-ध्यान की विशेष परंपरा
अमावस्या के दिन वैसे भी स्नान-दान की विशेष परंपरा है. लेकिन कहते हैं कि सोमवती अमावस्या को मौन रहकर स्नान-ध्यान करने से सहस्र-गोदान का पुण्यफल प्राप्त होता है. विवाहित स्त्रियों द्वारा इस दिन अपने पति की दीर्घायु कामना के लिए व्रत और पीपल पूजा का विशेष विधान है.
अश्वत्थ परिक्रमा और सेवा को माना गया है खास
भारतवर्ष के अनेक भूभागों में इस दिन अश्वत्थ यानि पीपल के पेड़ की पूजा को खास माना जाता है. इसलिए सोमवती अमावस्या को 'अश्वत्थ प्रदक्षिणा व्रत' भी कहा गया है. मान्यता है कि इस दिन पीपल की छाया से, पीपल के पेड़ को छूने से और उसकी प्रदक्षिणा (दाहिनी तरफ से घूमना) करने से समस्त पापों का नाश होता है. अक्षय लक्ष्मी की प्राप्ति होती है और भाग्य में अभिवृद्धि होती है.
अक्षय-पुण्य, धनलाभ और स्थायी सौभाग्य की प्राप्ति
कहते हैं, पीपल के निचले हिस्से यानी मूल भाग में जगतपालक भगवान श्री हरि विष्णु, तने में देवाधिदेव शिव और ऊपरी भाग में सर्जक ब्रह्मा का निवास है. इसलिए ऋषि-मुनियों ने बतताया है कि अगर सोमवार को अमावस्या हो तो इस दिन पीपल-पूजन से अक्षय-पुण्य, धनलाभ और स्थायी सौभाग्य की प्राप्ति होती है. पीपल-पूजन में दूध, दही, मीठा,फल,फूल, जल,जनेऊ जोड़ा चढ़ाने और दीप दिखाने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
पितृदोष-निवारण का विशेष दिन यह
शास्त्रों में सोमवती अमावस्या को पितृदोष दूर करने के लिए उपाय हेतु विशेष दिन कहा गया है. मान्यता है कि पितृ दोष को शांत करने के लिए सोमवती अमावस्या से इतर प्रत्येक शनिवार को पीपल के पेड़ की पूजा करनी चाहिए. साथ ही, सोमवती अमावस्या के दिन एक ब्राह्मण को दक्षिणा और भोजन करवाना भी एक प्रभावी उपाय है.
आज ही है सूर्यग्रहण भी...
आज केवल सोमवती अमावस्या ही नहीं बल्कि सूर्यग्रहण भी है. यह बड़ा ही दुर्लभ संयोग होता है. लेकिन आज लगने वाला सूर्यग्रहण भारत में दृश्यमान नहीं है. इसलिए इसके सूतक और प्रभाव कोई खास विचार करने की आवश्यकता नहीं है. लेकिन इसके बावजूद इस ग्रहण का कमोबेश प्रभाव हर राशि पर पड़ने की संभावना है.
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