जब हम धर्मग्रंथों को पढ़ते हैं, तो हमें यही समझाया जाता है कि हम एक सच्ची जिंदगी जिएं पर जैसे-जैसे इंसान सद्गुणों को अपनी जिंदगी में ढालने की कोशिश करता है, तो उसे लगता है कि अगर मैं ऐसे जिऊंगा, तो मैं इस दुनिया में सफल नहीं हो पाऊंगा. हमें ऐसा लगता है कि जो लोग झूठ बोलते हैं, सच्चाई के साथ नहीं जीते, वे सब एक बेहतर जिंदगी जीते हैं. हमें ऐसा लगता है कि जो लोग रौब से बोलते हैं, उनकी बातें दूसरे लोग जल्दी सुनते हैं. हमें ऐसा लगता है कि सद्गुणों को अपनी जिंदगी में ढालने से हमारे सामने मुश्किलें आने लगती हैं.
लेकिन महापुरुष हमें समझाते हैं कि अगर हमें जिंदगी के मकसद तक पहुंचना है, अगर हमें अपने आपको सही रूप में जानना है, प्रभु को पाना है, तो हमें प्रभु के साथ लगाव करना होगा और सद्गुणों को धारण करना होगा. सबसे पहले इंसान को सच्चाई के साथ जीना होगा, जैसा कि गुरुवाणी में आया हैः
आदि सचु, जुगादि सचु। है भी सचु, नानक होसी भी सचु।।
वह सच क्या है? जो सच है, वो सृष्टि की शुरुआत में भी सच था, आज भी सच है, और आगे भी सच ही रहेगा. अगर हम उस सच्चाई को जान पाएं, तो हमारी जिंदगी सफल हो जाएगी. अगर इंसान इस चीज को अपने पल्ले बांध ले कि हमारा हर एक कार्य, हर एक सोच, हर एक बोल, सच्चाई से भरपूर होगा, तो हमारी जिंदगी अपने आप सफल होनी शुरू हो जाएगी.
महापुरुष हमें समझाते हैं कि अगर हम सच्चाई से जिएंगे, तो हमारी जिंदगी खुशियों से भरपूर हो जाएगी. एक सच्चा इंसान ही प्रभु को पा सकता है. रूहानियत के रास्ते पर चलने के लिए सद्गुणों का जिंदगी में होना पहला कदम है. अगर जिंदगी में सद्गुण नहीं होंगे, तो हम उस मंजिल की ओर कदम ही नहीं उठा सकते. सद्गुणों में से सच्चाई की जिंदगी जीना सबसे बड़ा गुण है. अगर हम सच सोचें सच्चे कार्य करें, तो फिर हम सच्चाई के रास्ते पर चल सकते हैं.
सच क्या है? वह तो हमें अपने अंदर अनुभव करना है, बाहर की दुनिया तो भ्रम है, माया की दुनिया है. इसीलिए महापुरुष समझाते हैं कि जितना ज्यादा हम बाहर की दुनिया में लगे रहेंगे, उतना ही ज्यादा प्रभु से दूर होते जाएंगे.
हमें पूरी कोशिश करनी है कि हम सच्चाई को जानें, और सच्चाई हमारे भीतर ही है. इसीलिए महापुरुष अंतर्मुख होने के लिए, भजन-अभ्यास पर बैठने के लिए कहते हैं. अंदर की दुनिया में हम तब जा सकते हैं जब हमारा शरीर शांत हो, मन शांत हो, और बुद्धि भी शांत हो. और हमारा मन तभी शांत होगा, उसमें हलचल नहीं होगी, जब हम एक सच्चा जीवन जिएंगे, सद्गुणों से भरपूर जिंदगी गुजारेंगे.
(लेखक सावन कृपाल रूहानी मिशन के प्रमुख हैं)
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